जरूरत से ज्यादा नोट निकालकर घरों में जमा कर रहे हैं लोग: आरबीआई

new-curनई दिल्ली (आरएनएस)। सरकार और रिजर्व बैंक जहां नए करेंसी नोटों की उपलब्धता बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं वहीं कुछ लोगों का नकदी के प्रति मोह नोटों के संकट को बढ़ा रहा है। हाल यह है कि जिन लोगों के पास 50, 100, 500 या फिर 2000 रुपये पहुंच रहे हैं, वे उसे खर्च करने या वापस बैंक में जमा करने से परहेज कर रहे हैं। बैंकों में जमा हो रही राशि में इन नोटों के अभाव से इसकी पुष्टि होती है। बैंकों की ज्यादातर शाखाओं में आजकल लगभग पूरी राशि 500 और 1000 के पुराने नोट में ही आ रही है। दिल्ली में एक सरकारी बैंक के उच्च अधिकारी ने बताया कि उनकी ब्रांच में किसी भी दिन पांच लोग भी 10, 20, 50 और 100 रुपये के पुराने नोट या 500 और 2000 रुपये के नए नोट जमा कराने नहीं पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर 500 और 1000 के पुराने नोट जमा कराने वालों की भरमार है। प्रचलित नोट वापस बैंकों के पास न आने के कारण ग्राहकों को नकदी उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। फिलहाल बैंकों के पास प्रचलित नोटों की आपूर्ति सिर्फ रिजर्व बैंक की ओर से ही हो रही है। रिजर्व बैंक के अनुसार 10 नवंबर से 27 नवंबर के दौरान लोगों ने बैंकों से 2,16,617 करोड़ रुपये निकाले हैं। वहीं इस अवधि में 8.44 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1000 के पुराने नोट जमा किए। फिलहाल एटीएम से 2500 रुपये एक दिन में निकालने की इजाजत है जबकि साप्ताहिक निकासी सीमा 24,000 रुपये है। वहीं चालू खाते से 50,000 रुपये तक निकाले जा सकते हैं। बैंकों का कहना है कि अब तक 90 फीसद एटीएम को रीकैलिब्रेट किया जा चुका है। इधर रिजर्व बैंक की नोट छापने वाले प्रेस भी अपनी क्षमता के अनुसार शत प्रतिशत छपाई कर रहे हैं। साथ ही सरकार ने वायु सेना के विमानों का इस्तेमाल कर देश के दूर-दराज के इलाकों में नकदी पहुंचाने का प्रयास किया है। इन उपायों के बावजूद अब भी बैंकों के बाहर रुपये निकालने के लिए कतारें कम नहीं हो रही हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि स्थिति सामान्य होने में अभी तीन से चार हफ्ते लग सकते हैं।