यूपी में नहीं थम रही चाचा-भतीजा की लड़ाई

shivpal and akhi

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी में घमासान दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच थमता हुआ विवाद फिर कहीं ना कहीं नया रूप लेता हुआ दिखाई दे रहा है। दोनों एक-दूसरे के निर्णय को गलत साबित करने में लगे हैं। कल शिवपाल ने जब पार्टी के 23 कैंडीडेट्स की सूची जारी की तो मामला सामने आने लगा।
समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में बीते पांच नवंबर को प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अचानक ही माइक लेकर मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव का गुणगान करने में लगे जावेद अब्बास आबिदी को मंच से धक्का देकर हटाया था। इसके बाद आबिदी को अखिलेश यादव ने गले लगा लिया और लाल बत्ती प्रदान कर दी। उनको सीएम ने मंत्री का दर्जा देकर सिंचाई विभाग में सलाहकार नामित कर दिया।
इसके बाद बारी शिवपाल सिंह यादव की थी। शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश को जरा सा भी न सुहाने वाले इलाहाबाद के माफिया अतीक अहमद को कानपुर कैंट से टिकट दे दिया है। आपराधिक पृष्ठभूमि के अतीक अहमद को प्रत्याशी बनाने पर लोग सपा की चुटकी ले रहे हैं। अतीक अहमद को अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में दागियों से दूर रहने का संदेश देते हुए पार्टी में लेने से इन्कार किया था।
मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में अतीक को सपा प्रत्याशी बनाया गया। मुख्यमंत्री ने अतीक से बनाये रखी। कुछ माह पहले अपने इलाहाबाद दौरे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंच पर मौजूद अतीक से न सिर्फ किनारा किया बल्कि उन्हें हाथ लगाकर परे हटा दिया था।
इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने बर्खास्त मंत्री राजकिशोर सिंह के भाई बृजकिशोर उर्फ डिम्पल को भी टिकट दिया है। राजकिशोर सिंह को अखिलेश यादव ने मंत्री पद से बर्खास्त किया था। अब शिवपाल ने राजकिशोर के भाई को टिकट दे दिया है। डिंपल को राजकिशोर को भी पार्टी के टिकट मिलना तय है। सपा ने डिम्पल को बस्ती के रुदौली से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
शिवपाल यादव ने छह लोगों को टिकट से वंचित किया है। यह सभी लोग सीएम अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। शिवपाल यादव अब संगठन में अपनी ताकत दिखाते हुए टिकट अपनी पसंद से बांट रहे हैं।