विघ्न विनाशक एटीएम

ATM-now-passing-50सुरजीत सिंह। आजकल एटीएम ऐसा ग्रह है, जिसके चारों ओर हम उपग्रह की भांति चौबीसों घंटे चक्कर काट रहे हैं। कैश है नहीं और एटीएम रूठे-रूठे से सरकार नजर आते हैं। शादी-ब्याह तक में गणेश जी साइड लाइन हैं। अब एटीएम ही विघ्न विनाशक हैं। हे एटीएम बाबा, अब लाज तुम्हारे हवाले!
खैर! इन दिनों भविष्यवक्ता तक एटीएम में कैश होने की गारंटी नहीं दे रहे। कल एक व्यक्ति ने उसे पीट दिया, जिसने कहा था कि बेटा, जिस एटीएम में भी कार्ड डालोगे, वही कैश देगा। बंदे का कार्ड डाल-डालकर एटीएम से भरोसा उठ चुका था, अब बाबा से भी उठ लिया। सुबह दरवाजे पर भिखारी बोल रहा था- तुम बाबा को सौ दोगे, एटीएम तुमको दो हजार देगा! डपटना पड़ा, अबे दुआ दे रहा है कि बद्दुआ!
अब सामान्य हास्य-विनोद में भी एटीएम घुस आया है। अबे तेरा दिमाग एटीएम है क्या? खाली दिमाग जैसे एटीएम का घर! कल तक जो महिलाएं गर्व से अपने पतियों को चलते-फिरते एटीएम बताकर स्वयं के बैंक होने का आभास कराती थीं, आज वे भी कतराने लगी हैं। कहीं एटीएम की संज्ञा पर पड़ोसनें यह न समझ लें कि इनके ‘वोÓ एकदम कड़के हैं, खाली हैं। वैसे ‘वोÓ की बात चली तो पति-पत्नी के बीच ‘वोÓ वाली जगह इन दिनों एटीएम ने ले ली है। पतियों को एटीएम से फुर्सत मिले तो ‘वोÓ की सुध लें। वैसे ‘वोÓ भी पक्का एटीएम की लाइन में ही खड़ा करेगी।
‘जानूं कहां हो, याद है ना आज हमारी मैरिज एनिवर्सरी है?Ó पत्नी ने चहकते हुए पूछा। उधर से कातर सी आवाज आई-लाइन में हूं डार्लिंग, कहो तो बीच में छोड़कर आ जाऊं! मन मसोसकर पत्नी ने कहा-नहीं, रहने दो, लाइन में लगे रहो! अब तो मौका देख बाबा लोग भी कैश लाने की तरकीबें सुझा रहे हैं! अब मार्केट में पीपल वाले, बरगद वाले बाबा कम चलते हैं। ‘एटीएम वाले बाबाओंÓ की डिमांड नई करेंसी से भी ज्यादा है।
दफ्तरों में लेटलतीफों को एटीएम ने अच्छा-खासा बहाना दे दिया है—’सीधे लाइन से आ रहे हैं।Ó यह आइडिया उधारचियों ने भी हथिया लिया है। धौंस से कह देते हैं—एटीएम ही नहीं दे रहा, हम क्या करें, कहो तो उखाड़ लाएं! ‘उल्टा देनदार, लेनदार को डांटे!Ó
एटीएम इस कदर हमारे अवचेतन में बैठ गया है कि जिस बंदे की संडे को शादी है, उससे अचानक पूछ लो तो हड़बड़ाकर बोल पड़ेगा-ओह सॉरी, मैं अटेंड नहीं कर पाऊंगा, लाइन में रहूंगा। अगर ‘दीवारÓ फिल्म आज बनती, तो अमिताभ बच्चन यह लाइन हर्गिज नहीं बोलते कि ‘हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू हो जाती है। भइया लाइन में जहां जगह मिल जाए, वहीं लग लो।Ó
मैं देख रहा हूं, अगले चुनाव में नेता घर-घर के सामने एटीएम खुलवाने का वादा कर रहे हैं। पगलाई पब्लिक को होश ही नहीं है कि पूछे-उनमें कैश का इंतजाम भी होगा या हैंडपम्पों की तरह खाली गाय-भैंसें बंधा करेंगी!