यूपी सरकार ने किसानों के कर्जमाफी पर शुरू की कवायद

kisan-halलखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल राज्य के सभी लघु एवं सीमान्त कृषकों के बैंकों के माध्यम से लिए गए फसली ऋण माफी एवं बजट तैयार करने के लिए लगातार सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकरियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य के किसानों की दयनीय स्थिति में सुधार के संकल्प को पूर्ण करने के लिए प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कृतसंकल्प है। इसके दृष्टिगत बैठकों में किसानों की ऋण माफी के विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया गया है।
यह जानकारी देते हुए वित्त विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि किसानों के ऋण माफी के फलस्वरूप माफ की गई धनराशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा बैंकों को किया जाएगा। सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के लागू होने के कारण राज्य लगभग 25 हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष अतिरिक्त व्यय भार आ गया है। साथ ही, लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017 में जनभावनाओं में दृष्टिगत प्रदेश सरकार की ऐसी अनेक प्रतिबद्धताएं हैं जिनमें सरकार के लिए वृहद वित्तीय उपाशय निहित है।
प्रवक्ता ने बताया कि किसानों के फसली ऋणमाफी से पडऩे वाले वित्त भार को वहन करने वाले अनेक प्रस्तावों में केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अनुदान संख्या-32 के तहत ट्रांसफर-टू-स्टेट मद से सहयोग प्राप्त करना तथा राज्य सरकार द्वारा ऋण लिया जाना प्रमुख है। किन्तु एफ0आर0बी0एफ0 एक्ट के अन्तर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार द्वारा ऋण लिए जाने की सीमा निर्धारित है तथा ऋण की धनराशि का प्रयोग राज्य द्वारा विकासात्मक कार्यों में किया जाता है।
प्रवक्ता ने कहा कि इसलिए किसानों के ऋण को माफ करने के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त ऋण की आवश्यकता होगी। इसके लिए राज्य सरकार केन्द्र सरकार से अतिरिक्त ऋण हेतु किए जाने वाले बन्ध पत्रों की धनराशि तथा उस पर लगने वाले ब्याज को एफ0आर0बी0एम0 एक्ट के अन्तर्गत निर्धारित ऋण सीमा से बाहर रखने का अनुरोध करेगी। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के माध्यम से बन्ध पत्र निर्गत किए जाने हेतु केन्द्र सरकार की अनुमति प्राप्त की जानी आवश्यक है।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार द्वारा लोक कल्याण संकल्प पत्र-2017 में प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकों के फसली ऋणों को माफ करने का संकल्प लिया गया है। अद्यावधिक कृषि गणना 2010-11 के आधार पर वर्तमान में राज्य में लगभग 2.30 करोड़ कृषक हैं। प्रदेश में लघु एवं सीमान्त कृषकों की कुल संख्या 2.15 करोड़ है, जिसमें सीमान्त कृषक 1.85 करोड़ तथा लघु कृषक 0.30 करोड़ हैं। प्रदेश में वर्ष 2013-14 के रबी मौसम से 2015-16 के रबी मौसम तक लगातार दैवीय आपदाओं के कारण फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता अत्यधिक प्रभावित रही है, जिसके कारण प्रदेश के कृषक विशेषकर लघु एवं सीमान्त कृषकों की आर्थिक दशा अत्यन्त गम्भीर हो गयी है।