शाह की नजर: यूपी में मिल जायें यादव अगर

लखनऊ। विपक्षी खेमे में सेंध लगाकर प्रदेश की सियासत में खलबली मचाने वाले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नजर अब विरोधियों के कोर वोट बैंक पर टिक गई है। दलितों के एक वर्ग और ओबीसी के एक बड़े हिस्से को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही बीजेपी की नजर अब बीएसपी को वोट बैंक माने जाने वाले जाटवों और समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माने जाने वाले यादवों पर है। शनिवार को पार्टी की बैठक में शाह ने कार्यकर्ताओं से खास तौर पर मिशन यादव पर जुटने को कह दिया है।
बीजेपी पिछड़ी जातियों में गैर यादव वोटों में पहले ही काफी सेंध लगा चुकी है। दलितों में भी जाटवों को छोडक़र बाकी उपजातियों में पार्टी निणार्यक बढ़त की ओर है। सूत्रों की मानें तो बैठक में शाह ने कहा कि यादव और जाटव दोनों ही संगठित रूप से जिनके साथ रहे हैं, उनको मजबूत करने का काम किया है। इनके वोट बैंक से पली-बढ़ीं एसपी और बीएसपी पतन के आखिरी दौर में हैं। इनके कोर वोट बैंक को भी यह लग रहा है कि जिनके साथ हम खड़े रहे, उन्होंने हमारा विकास करने की बजाय राजनीतिक इस्तेमाल ही किया है। शाह ने कहा, हमारे लिए एक अच्छा मौका है कि हम उनके बीच में बीजेपी की पैठ बढ़ा सकें, इसलिए अभियानों में यादवों को एसपी का वोट बैंक मानकर किनारे करने की जरूरत नहीं है, बल्कि पार्टी को उन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। रणनीतिक तौर पर सरकार और संगठन में भागीदारी के जरिए उनके साथ खड़ा होने का संदेश भी पार्टी के जरिए दिया जाएगा। समाजवादी कुनबे में मचे घमासान को देखते हुए शाह इसपर तुरंत काम शुरू करने के पक्ष में हैं। शाह ने संगठन के लोगों को निर्देश दिया है कि दलितों और यादवों को पार्टी से जोडऩे के लिए तीन महीने का विशेष अभियान चलाएं। इसके लिए क्षेत्रवार कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। इन दोनों समुदायों के प्रभावी लोगों की सूची बनाकर उन पर विशेष मेहनत करने का गुरुमंत्र भी शाह ने दिया। हर जिले और विधानसभा स्तर पर ऐसे प्रभावी लोगों को पहले चरण में चिह्नित किया जाएगा और फिर अभियानों से जोड़ा जाएगा। पार्टी का जोर इन वर्गों को यह समझाने पर रहेगा कि बीजेपी उनके हितों की अपेक्षाकृत दूसरे दलों से अधिक चिंता करती है। उनका पार्टी से जुडऩा विकास के लिए फायदेमंद रहेगा।