सुखविंदर उर्फ राधे मां: विदेशों में फैला रही हैं जाल

विशेष संवाददाता, मुम्बई। स्वयं को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर का माया जाल क्या है यह आज भी लोगों से परे है। आखिर तमामों विवादों को जन्म देने के बाद आजकल राधे मां एक दम गायब हैं। सूत्रों के अनुसार राधे मां उर्फ सुखविंदर कौर आजकल विदेशों में ज्यादा समय दे रही हैं। उनके एक घनिष्ठï की एक कंपनी के माध्यम से उनका कारोबार दिनोंदिन फैल रहा है।
जानकारी के अनुसार उनका जन्म 1969 में पंजाब के गुरदासपुर के गांव दोरांगला में हुआ। बचपन का नाम गुडिय़ा था जबकि पूरा नाम सुखविंदर कौर उर्फ बब्बू। मध्यमवर्गीय परिवार से संबंधित गुडिय़ा ने गांव के ही सरकारी स्कूल से दसवीं की। सुखविंदर कौर के दो भाई व तीन बहने हैं। दसवीं के बाद मुकेरियां (होशियारपुर) निवासी मोहन से शादी हुई। गृहस्थ जीवन में रहते हुए इन्होंने अपनी धार्मिक गतिविधियों को जारी रखा। शादी के बाद पति मोहन (दसवीं पास) जो मुकेरियां में हलवाई की दुकान करते थे वह बाद में दुबई चले गए। कुछ सालों बाद लौट आए। सुखविंदर लड़कियों को सिलाई सिखाती थी। उसने मुकेरियां के डेरा परमहंस के संत रामदीन जी से नाम दीक्षा ली। गुरु जी ने गुडिय़ा को राधे नाम दिया। धीरे-धीरे लोग उन्हें राधे मां के नाम से पुकारने लगे। मुकेरियां के मोहन से शादी के बाद बंटी व नीशू दो बेटे जन्मे। बंटी बड़ा व नीशू छोटा। 1992 में राधे मां ने अपने घर में मंदिर बनवाया और चौंकी लगानी शुरू की। धीरे-धीरे लोगों की उनके प्रति आस्था बढ़ती गई। वर्ष 2005 में वह मुंबई चली गई, लेकिन भक्तों के अनुरोध पर हर साल श्री रामनवमी वाले दिन वह अपने गुरु स्थान पर जरूर आतीं। उनके पीछे मुकेरियां में उनकी धार्मिक गतिविधियों को राधे मां की बहन रज्जी मौसी चलाती हैं। राधे मां का पति मोहन व बेटा बंटी मुंबई में आटो एजेंसी चलाते हैं व नीशू आटोमोबाइल का कारोबार करता है।
भारी मेकअप और महंगे साड़ी-गहनों से लदी रहने वाली राधे मां को अनुयायी मां दुर्गा का अवतार मानते है जबकि खुद उन्हीं विरादरी वाले साधु संत अभी तक अपने पंथ में अपना नहीं पाये हैं। करीब एक हजार करोड़ से अधिक की मालकिन राधे मां और विवादों का साथ चोली दामन का रहा है।
मालूम होकि राधे मां नामक इस महिला के दर्शन और आशीर्वाद के लिए लोग अच्छी-खासी कीमत चुका रहे है। फेसबुक पर परम श्रद्धेय श्री राधे मां नाम से बने इनके अकाउंट को लगभग सैकड़ों लाइक रोज मिलती है। मुंबई में इनके अनुयायियों में कई बड़े फिल्म और टीवी कलाकार शामिल हैं। बता दें कि राधे मां का जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के एक सिख परिवार में हुआ था। इनकी शादी एक समृद्ध और मुकेरिया निवासी किसान व्यापारी सरदार मोहन सिंह से हुई ,शादी के कुछ दिन बाद इनकी मुलाकात वहीं शिव मंदिर के महंत रामदीन दास से हुई। महंत रामदीन दास ने राधे मां की धार्मिक प्रतिभा को पहचानते हुए कुछ शिक्षा दी। महंत रामदीन के प्रभाव में आने के बाद ये राधे मां बन गईं। भक्त उन्हें सत्संग, जागरण, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बुलाने लगे। राधे मां का जलवा देश के अलावा विदेशों में फैला हुआ है।