गोलमाल: बिना मानक नियुक्त हुए संविदा कर्मी लूट रहे सरकारी खजाना

लखनऊ। रिमोट सेंन्सिग एप्लीकेशन्स सेन्टर में बिना विज्ञापन व पारदर्शिता के तहत नियुक्त हुए संविदा कार्मिकों को उपरोक्त शासनादेश के तहत संविदा धनराशि अनुसार भुगतान करके राज्य सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये की हानि की जा रही है। मालूम हो कि रिमोट सेंन्सिग एप्लीकेशन्स सेन्टर में संविदा कार्मिकों पर वेतन समिति (2008) की संस्तुतियॉं लागू करने सम्बन्धी शासनादेश दि0 23.09.2015 में इस निर्देश से स्वीकृत प्रदान की गई थी कि ’’संविदा पर नियुक्त कार्मिकों को सम्बन्धित पद पर वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन का न्यूनतम तथा उस पर राज्य कर्मचारियों को समय-समय पद देय महंगाई भत्ते के समान धनराशियों को जोडते हुए संविदा राशि तात्कालिक प्रभाव से उन्ही कार्मिकों को अनुमन्य कराई जायेगी जो पद हेतु न्यूनतम आर्हता रखते हों तथा जिनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से विज्ञापन निकाल कर निर्धारित चयन प्रक्रिया के अनुसार की गई हो और ऐसे संविदा कार्मिकों पर आने वाला व्ययभार केन्द्र अपने स्रोतो से वहन करेगा उक्त हेतु शासन द्वारा अलग से कोई धनराशि प्रदान नहीं की जायेगी।’’
सेन्टर के तत्कालीन अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति ने संविदा कार्मिकों को शासनादेश के तहत अनुमन्य की गई संविदा धनराशि अनियमित एवं शासनादेश के विपरीत होने पर केन्द्र के कार्यवाहक निदेशक एवं डा0 राजेश कुमार उपाध्याय, वैज्ञानिक को निलम्बित किये जाने की संस्तुति/निर्देश दिये गये थे। यही नहीं शासन एवं प्रबन्धकारिणी समिति के निर्देशों के बावजूद परियोजनाओं के अन्तर्गत माह अप्रैल 2015 में डी0टी0पी0 आपरेटरों के पदों पर सेवा प्रदाता के माध्यम से मानवशक्तियों को न रखकर बिना विज्ञापन एवं पारदर्शिता के संविदा पर मानवशक्तियों को रखे जाने के कारण अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति ने राजीव मोहन, वैज्ञानिक को कार्यवाहक निदेशक के दायित्व से हटाने के पश्चात् अन्य कई आरोपों के तहत निलम्बित कर दिया था। शासन द्वारा राजीव मोहन, वैज्ञानिक को पुन: निदेशक पद का दायित्व प्रदान कर दिया गया है।
शासन द्वारा राजीव मोहन, वैज्ञानिक को पुन: निदेशक के दायित्वों प्रदान किये जाने के पश्चात् उन संविदा कार्मिकों जिनकी नियुक्ति बिना विज्ञापन एवं पारदर्शिता के परियोजनाओं के अन्तर्गत की गई थी, चुनाव आचार संहिता से दो तीन दिवस पूर्व केन्द्र में विनियमित किये कर दिया है, इसके अतिरिक्त प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा दिनॉंक 26 फरवरी 2013 को अनुमोदित की गई संशोधित सामान्य सेवा नियमावली-1985 के अनुसार कार्यवाही न करके तथ्यों को छुपाकर पिछली तिथियों से केन्द्र के अन्य वैज्ञानिकों के साथ स्वयं अपनी पदोन्नति भी कर ली है। यहॉं तक कि सेन्टर में अध्यक्ष, प्रबन्धकारिणी समिति द्वारा प्रशासनिक अधिकारी का पद अस्वीकृत कर चुकने पर एक ओर कार्यालय अधीक्षक-प्रशासन की प्रशासनिक अधिकारी के पद पर प्रदान पदोन्नति को निरस्त कर दिया गया था वहीं दूसरी ओर सेन्टर के कार्यालय अधीक्षक-भण्डार व क्रय से कराया जा रहा है।
सेन्टर में हो रही अनियमितताओं की शिकायत जगदीश चन्द्र राजानी द्वारा शासन के अधिकारियों/मुख्यमंत्री/उपमुख्यमंत्री/विभाग के राज्य मंत्री जी से की गई है परन्तु शासन के अधिकारियों द्वारा आज तक दोषी अधिकारियों के प्रति कार्यवाही नहीं की गई है।