धरती को बांझ बना रहे हैं खनन मॉफिया

mitt khanan
विशेष संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की मनाही के बाद भी यूपी में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। प्रदेश में हो रहे अवैध खनन के सिडिंकेट का आलम यह है कि इस खेल में खनन माफिया से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की सांठ-गांठ से यह लगातार फल-फूल रहा है। यूपी सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रजापति पर भी अवैध खनन को लेकर काफी आरोप हैं।
जानकारों की माने तो अवैध खनन माफियाओं व प्रशासनिक अफसरों का ऐसा गठजोड़ चल रहा है कि लखनऊ उच्च न्यायालय के आदेश को भी दरकिनार कर दिया गया है। लखनऊ उच्च न्यायालय ने 30 जून से अवैध खनन पर रोक लगाई थी लेकिन खनन का काम आज तक नहीं रुका है। न्यायालय ने अब अगली सुनवाई 20 अगस्त को लगायी है।
यूपी के उरई जिले की बात करें तो इस जनपद में 25 मौरंग खनन के पट्टे वर्ष 2012 से स्वीकृत है। इन्हीं पर रोक लगायी गयी है। हमीरपुर व जनपद जालौन की घुरौली, बंधौली, कुरौना, टीकर, खरका, रिरूआ बसरिया जैसी खदानों पर हो रहे अवैध खनन से लदे ट्रकों की लंबी लाइनें कभी भी नेशनल हाईवे पर देखी जा सकती है। हमीरपुर की खदानों से भरने वाले ओवरलोड ट्रक तो जोल्हूपुर से हमीरपुर वाली उस सड़क से होकर गुजर रहे है जो अभी निर्माणाधीन है जिसकी 400 करोड़ रुपये के करीब की बन रही है लेकिन सड़कों के सत्यानाशी ओवरलोड ट्रक बराबर इन्हीं सड़कों से होकर गुजर रहे हैं और जिला प्रशासन की एआरटीओ, खनिज अधिकारी व एसडीएम की टीमे ओवरलोड व अवैध खनन करवा रहे ट्रकों को पकडऩे के बजाय उनसे अवैध वसूली में व्यस्त हैं। हाईकोर्ट की मनाही के बाद भी हो रहे अवैध खनन का सबसे बड़ा प्रमाण तो यह है कि हर रोज प्रशासन दो से तीन ट्रक अवैध खनन में बंद कर रहा है। यहां सवाल तो सबसे बड़ा यह है कि जब हाईकोर्ट ने अवैध खनन पर रोक लगा दी तो फिर पट्टा धारक खनन करने में क्यों लगे हैं। क्या वह हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानते। यदि वह हाईकोर्ट का आदेश नही मानते तो फिर जिला प्रशासन उनके पट्टा निरस्तीकरण की कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाता। दूसरा सवाल तो यह है कि क्या प्रशासनिक अफसर मौरंग माफियाओं के आर्थिक प्रबंधन की चपेट में है या फिर अवैध खनन करने वाले पट्टा धारक प्रशासनिक आदेशों को कोई तवज्जो नहीं देते।