राजस्थान विश्वविद्यालय देगा 20 लाख डिग्रियां, राज्यपाल कल्याण सिंह का कारनामा

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जयपुर। भारतीय शास्त्रों में तीन तरह के व्यक्तित्वों का उल्लेख है। तीसरे तरह के लोग वे होते हैं, जो काम की कठिनता से घबरा कर काम शुरू ही नहीं करते हैं। दूसरी श्रेणी के वे लोग होते हैं, जो काम तो शुरू कर देते है परन्तु कठिनाइयां सामने आने पर उसको अधूरा ही छोड़ देते हैं और प्रथम श्रेणी के व्यक्तित्व वे होते हैं, जो कार्य की कठिनता को जानते हुए भी उसको शुरू करते हैं, बड़े-बड़े व्यवधान आने पर भी उसे अधूरा नहीं छोड़ते और अन्त में उसे पूरा अंजाम तक पहुचाते हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय में पिछले 25 वर्षो में उपाधियों का वितरण नहीं हुआ है। डिग्री पाने की राह ताकते विधार्थियों की संख्या 20 लाख से ऊपर पहुंच गई है। विश्वविद्यालय को भी इन्तजार था ! शास्त्र सम्मत प्रथम श्रेणी के व्यक्तित्व का ! और इन्तजार खत्म हुआ कल्याण सिंह के राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बनने के साथ। श्री सिंह को जब इस बात की जानकारी हुई कि 25 वर्षो से 20 लाख डिग्रियां वितरित नहीं हुई हैं, तो दीक्षान्त समरोह के लिए तिथि दिये जाने के विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को न केवल सिरे से नकार दिया बल्कि यह शर्त लगा दी कि जब तक 20 लाख डिग्रियां तैयार न हो जायेगी, तब तक वे दीक्षान्त समारोह के लिए समय नहीं देंगे। विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार कुलाधिपति कल्याण सिंह ने इस मिशन को पूरा करने के लिए 39 बैठकें राजस्थान विष्वविद्यालय के कुलपति प्रशासन के साथ बतौर मॉनीटरिंग की। यही नहीं इस असंभव कार्य को पूरा करने के लिए तथा इसकी दिन प्रतिदिन मॉनीटरिंग के लिए प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया। 7 जुलाई का दिन इतिहास की तारीख में दर्ज होने जा रहा है। यह वह दिन है जब 20 लाख छात्र डिग्रीयों को प्राप्त करेगें। हालाकि कुलाधिपति इस कार्य का श्रेय राजस्थान विश्वविद्यालय की टीम को ही देना चाहते है।