यूपी के लिए मानसून हुआ कंजूस: रोपाई बाधित

लखनऊ। पिछले दो महीनों में आधा दर्जन बार भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद उप्र में बारिश औसत से बहुत कम है। कम बारिश के कारण धान की रोपाई प्रभावित हुई है। जबकि भरपूर बारिश कराने वाला आषाढ़ माह समाप्त होने को है। मौसम विभाग द्वारा बारिश के सामान्य पूर्वानुमान के बावजूद उप्र के हालात ठीक नहीं हैं। कृषि निदेशक सोराज सिंह के अनुसार लक्ष्य के सापेक्ष अब तक सिर्फ 30 फीसद धान की रोपाई हो सकी है। यह पिछले साल की तुलना में करीब दो लाख हेक्टेयर कम है। समय से रबी की फसल लेने के लिए जुलाई में धान की रोपाई हो जानी चाहिए। इस लिहाज से अब बहुत समय नहीं बचा है। खासकर परंपरागत प्रजातियों के लिए। कृषि विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बेहतर बारिश होने से किसानों को लाभ होगा। प्रदेश में 60.13 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती होती है। जिसमें 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है। बारिश के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के दो दर्जन से अधिक जिलों में सूखे की आशंका हैं। करीब 40 जिलों में भी औसत काफी कम बारिश हुई है। प्रदेश में 75 जिले है, जिनमें से सिर्फ दर्जन भर जिले ही ऐसे हैं जहां सामान्य या इससे अधिक बारिश हुई है। औसत से कम बारिश के कारण धान की रोपाई प्रभावित हुई है। जिनके पास खुद के संसाधन नहीं हैं वे अब भी बारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या सीमांत और लघु किसानों की है। अधिक आबादी और छोटी जोत के कारण ऐसे किसानों की ज्यादा संख्या पूर्वी उप्र में हैं। प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया है कि धान की रोपाई के लिए गांवों को भरपूर बिजली दी जा रही है ताकि किसानों को दिक्कत न हो।कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि धान की अच्छी फसल के लिए बारिश बेहद जरूरी है। मानसून की टेढी चाल के कारण खरीफ की मुख्य फसल धान की उत्पादकता को लेकर संशय है। पिछले साल प्रदेश में 59.66 लाख हेक्टेयर में खेती से 149.96 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ था।