बालकृष्ण का चायनीज कनेक्शन

अमृतांशु मिश्र
स्वदेशी डंडा, चीन का झंडा और यह है बाबा रामदेव का नया फंडा। काफी कुछ लोगों को लगने लगा है कि स्वदेशी की बात करने वाले बाबा रामदेव के प्रोडक्ट चायना जैसे हैं। चीनी माल चल गया तो किस्मत, खराब होने पर कोई गारंटी नहीं। यही हाल अब बाबा के माल बाजार में फेल होने के समाचार आ रहे हैं। तभी मजबूर होकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विधान परिषद में यह बात स्वीकार करनी पड़ी और वे बाबा रामदेव को बचा नहीं पाये।कारण था एक महत्वपूर्ण सरकारी जांच जिसमें पाया गया कि बाबा के माल में खोट ही खोट है। सेन्ट्रल रेवेन्यू इन्टेलीजेंस ने चीन से नेपाल के रास्ते भारत आ रहे रक्त चंदन की एक बड़ी खेप को पकड़कर भी कारोबारी बाबा की पोल खोली है। आखिर क्या कारण है कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण की पतंजलि एवं सहयोगी कंपनी को सरकारी संरक्षण मिला हुआ है।
लोगों को इस बात की स्मृति अभी भी है कि डोकलाम विवाद के समय बाबा रामदेव ने चीन को भारत का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था। पानी पी-पी कर बाबा चीन को भला-बुरा कहते थे। अब उसी बाबा की कंपनी के समूह प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने फेसबुक एवं ट्विटर के अपने पेज पर बड़े गर्व के साथ घोषणा किहमारी कंपनी का करार चीन के साथ हो गया है। बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ के महामंत्री भी हैं। वे चीन यात्रा पर 13 दिसम्बर को गये थे। उन्होंने एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) चीन के साथ किया। जो विवरण सामने आया है, उसमें हार्वे प्राविंस के डिप्टी गर्वनर गाओ लंगुआ, स्काई टेलीविजन के सीएमडी जियानचेंग, वू झिगुआ, झेंग बाओशान एवं झू झेनपे से मुलाकात बीजिंग में की।
हाल ही में चीन से अवैध तस्करी कर रक्त चंदन जो टनों की मात्रा में पकड़ा गया था, उसके कुछ प्रतिनिधि से भी बालकृष्ण के मिलने की खबर है। जिसकी पुष्टिï सेन्ट्रल रेवेन्यू इन्टेलीजेंस की टीम करने में जुटी है। बालकृष्ण ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से चीन के नंदगांव औद्योगिक पार्क की प्रशासनिक समिति के साथ समझौता किया। इस डील के तहत जड़ी-बूटी, अन्वेषण, प्रौद्योगिकी एवं मीडिया के क्षेत्र में एक दूसरे के साथ कारोबार करने का निर्णय लिया। एक क्षेत्र कला जिसमें संस्कृति-परम्परा एवं पर्यटन पर भी दोनो मिलकर काम करेंगे, निश्चय हुआ। इसका साफ आशय है कि रामदेव की कंपनी चीन की कंपनियों को भी भारत में एंट्री दिलाने का काम एक एजेंट के रूप में करने जा रही है। गुलाम होने से पहले अंग्रेजों ने भी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कोलकाता से शुरू करके भारत के राजे-रजवाड़ों को खरीदा था।
सरकारी रिकार्ड के हिसाब से कारोबारी बाबा की कंपनी के व्यापार की स्थापना आज से मात्र 12 वर्ष पूर्व 2006 में हुई थी। व्यापार शुरू होते ही बाबा ने स्वदेशी ब्रांड वाला झंडा का डंडा थाम लिया था। उत्तराखंड में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बाबा के कारोबार की जब जांच करवायी थी तो उस वक्त बाबा मुसीबत के घेरे में आये। वामपंथी नेता वृंदा करात पर तब स्वदेशी वालों ने जमकर आरोप लगाये थे कि यह सब वृंदा बहुराष्टï्रीय कंपनियों के इशारे पर कर रही हैं। जबकि तथ्य था कि बाबा की कंपनी ने अपने तमाम कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था और इन्हीं कर्मचारी यूनियन की शिकायत पर उत्तराखंड सरकार ने इनके आयुर्वेद उत्पादों की जांच करवायी थी जो मानक के अनुरूप नहीं थी और उसमें जानवरों के हड्डïी के चूरे की भी बात सामने आयी थी।
रामलीला मैदान में हुए बाबा एवं बालकृष्ण के साथ हुए कांड के बाद बाबा सुर्खियों में आये और संघ परिवार ने उन्हें हाथों-हाथ ले लिया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के बनते ही इस कंपनी के दिन बहुर गये और कारोबारी बाबा का व्यापार दिन दूना रात चौगुना बढऩे लगा। कहते हैं कि ैछत्तीसगढ़ के रायपुर-भिलाई जैसे इलाके में तत्कालीन रमन सरकार की निकटता का लाभ भी बाबा को मिला और बाबा से मिलने दूसरे देशों के राजनयिक एवं उपराष्टï्रपति तथा बड़े-बड़े कारोबारी अपना काला धन ठिकाने लगाने भी आने लगे। यूपी, राजस्थान, एमपी, बिहार जैसे कई राज्य में इनका कारोबार बढ़ाने के लिए बाबा को बीजेपी की सरकारों ने जमकर रेवड़ी बांटी और सस्ती दरों पर खरबों रुपये की जमीन कौडिय़ों के दाम में दे दी।
आज स्थिति यह है कि आचार्य बालकृष्ण देश के 11वें रईस हैं। सितम्बर 2018 में इनकी सम्पत्ति 57 हजार करोड़ रुपये आंकी गयी है। जबकि रईस लोगों में अनिल अंबानी का 44वां नम्बर और उनकी हैसियत 19 हजार 500 करोड़ रुपये है। बारक्ले कंपनी ने सितम्बर 2018 में यह सूची जारी की थी। इतनी अकूत सम्पत्ति बटोरने वाले बाबा रामदेव के शिष्य बाल कृष्ण पर अब आरोप लगने लगे हैं कि इनका माल घटिया और निम्र स्तरीय है। पतंजलि का च्वन्यप्राश जिसमें आंवले की मात्रा की प्रमुखता होती है, में आंवला के बजाय ऐसी चीज मिला दी जाती है जो उसमें खप जाती है। यूपी में प्रतापगढ़ जैसे कुछ ही जिले ऐसे हैं जहां आंवला का उत्पादन होता है और जितनी मात्रा में च्वन्यप्राश बिकता है उतने आंवले का उत्पादन होता ही नहीं है यह सरकारी रिकार्ड बोलते हैं।
रखिया या सफेद कद्दू अथवा कुम्हड़ा कहा जाता है, को आंवले की जगह भारी मात्रा में मिला दिया जाता है। सरकारी लैब से इसकी पुष्टिï सरकार करवा चुकी है। तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में सदन के अंदर माना कि पतंजलि के तमाम उत्पाद अपने मानक के विपरीत मिले हैं। उन्होंने दीपक सिंह के तारांकित प्रश्न के उत्तर में अपना जवाब लिखित रूप में दिया और बताया कि 1 अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2018(पौने दो वर्ष) की अवधि में घी, तेल, मसाले, मिठाई, नमक, बिस्कुट, जूस आदि के कुल 113 नमूने जांच के लिए भेजे गये थे। जांच में 77 रिपोर्ट आयी और उनमें विभिन्न उत्पादों के 17 नमूने फेल हो गये। उनके इस बयान के बाद यह भी साफ हुआ कि संक्षेप में जानकारी देकर सरकार ने कारोबारी बाबा को फिर बचाने की कोशिश की, अन्यथा मुख्यमंत्री घोषणा करते कि फेल हुए नमूनों के लाइसेंस कैंसिल किये जाते हैं और बाबा रामदेव की कंपनी को यूपी सरकार चेतावनी जारी करती। यही कारण है कि अफसर भी खामोश हैं। कारोबारी बाबा से चीन का होने वाला कारोबार विदेश एवं वाणिज्य मंत्रालय की सहमति से ही हो रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो चीन जाकर आचार्य बालकृष्ण एमओयू साइन नहीं करते और यह नहीं कहते कि हमने आईटी, योग, आयुर्वेद, हर्बल मेडिसिन, पर्यटन एवं मीडिया सेक्टर में व्यापार करने की दोस्ती चायना से कर ली है। एक तरह से चीन को भारत में प्रवेश कराने का रास्ता नेपाल के रास्ते खोला जा रहा है। यही कारण है कि इस कड़वे तथ्य को जानने के बाद भी नेपाली नागरिकता के विवाद में फंसने वाले आचार्य बालकृष्ण ने बड़े फ्र$ख के साथ फेसबुक पर अपने पेज पर लिख दिया कि पांच साल के अंदर हमारा भारतीय माल चायना के बाजारों में जमकर बिकेगा। तो मुकेश अंबानी के रास्ते पर चल चुके कारोबारी बाबा की कंपनी स्काई टीवी के माध्यम से आम जनता को प्रभावित करने की भविष्य में कोशिश करेगी।