सर्वे: अमेठी में राहुल को मिलेंगे पिछले चुनाव से ज्यादा वोट

विशेष संवाददाता। कांग्रेस के दो महत्वपूर्ण गढ़ अमेठी-रायबरेली में भावनाओं का ज्वार आज भी बह रहा है। इन दोनों गढ़ में केवल एक ही सवाल है कि अबकी बार लोकसभा चुनाव में कितने रिकार्ड मतों से जीत का अंतर होगा। महागठबंधन के बाद यह प्रश्न उठा है, जिसका जवाब अमेठी के मुसाफिरखाना स्थित 49 वर्षीय आशुतोष मिश्र ने दिया और कहा कि राहुल गांधी की रिकार्ड मतों से ऐतिहासिक जीत की नयी इबारत अबकी अमेठी लिखकर देगा। कुछ ऐसा ही हाल राहुल की दादी इंदिरा गांधी की पुरानी सीट रायबरेली से निकलना है। रायबरेली से राहुल की मां सोनिया गांधी पुन: चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों सीट का मोर्चा स्वयं प्रियंका गांधी वाड्रा ने संभाल रखा है।
सोशल मीडिया से लेकर दीवारों पर लिखे नारे यही बता रहे हैं कि चुनाव की बाजी में कौन भारी है। सलोन, अमेठी, गौरीगंज, सलोन और जगदीशपुर में इस संवाददाता की मुलाकात सब्जी वाले से लेकर तमाम प्रतिष्ठिïत व्यक्तियों से हुई। मुसाफिरखाना मेंफल बेचने वाले अखिलेश मौर्या (45) का कहना है कि वे पिछले दो चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ वोट डाले थे किंतु अब उन्हें लग रहा है कि राहुल से बेहतर कोई नहीं है। इस बार अपनेे परिवार सहित कांग्रेस को वोट देने का निर्णय किया है क्योंकि राहुल ने साल में साल में 72 हजार रुपये गरीब बेरोजगार व्यक्ति के खाते में डलवाने की घोषणा की है।
अमेठी की दुलारी देवी (67) राजमहल के पास मिलीं और वो बोलीं कि हमारा खानदान कांग्रेसी है और हमारे परिवार के सभी वोट कांग्रेस को मिलेंगे। दुलारी देवी का कहना था कि उन्होंने कई बार स्मृति ईरानी से मिलने की कोशिश की किंतु उनकी सुरक्षा के चलते उनसे मुलाकात भी नहीं हुई। दुलारी देवी अपने परिवार के दो सदस्यों को नौकरी दिलाना चाहती थीं। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। राहुल गांधी की न्याय योजना उन्हें रास आने लगी है और उनको लगने लगा है कि कांग्रेस की सरकार बनते ही दुलारी देवी के दोनों पोतों को बेरोजगारी भत्ता मिलने लगेगा। बेरोजगारी भत्ता का मुद्दा तिलोई एवं सलोन से लेकर ऊंचाहार तथा डलमऊ जैसे विधानसभा क्षेत्रों में छाता जा रहा है और यही मुद्दा मां सोनिया और बेटा राहुल गांधी की रिकार्ड जीत बनाने में सहायक हो सकता है।
पिछले चुनाव में स्मृति ईरानी 3 लाख 748 वोट (18.01 फीसदी) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं थीं और राहुल गांधी को अमेठी से 4 लाख 8 हजार 651 (24.47 फीसदी) वोट पाकर विजेता बने। तीसरे स्थान पर बीएसपी का प्रत्याशी था जिसको तीन फीसदी वोट मिल पाये थे। आप उम्मीदवार कुमार विश्वास भी मैदान में थे मगर उनकी जमानत भी नहीं बच पायी थी। उनको कुल 25 हजार वोट मिले थे। अबकी स्थिति दूसरी है। मुकाबले में बीएसपी-एसपी नहीं है क्योंकि रायबरेली और अमेठी की सीट महागठबंधन ने छोड़ दी है।
स्मृति ईरानी ने चुनाव हारने के बाद से अब तक 36 बार अमेठी की यात्रा की और हर बार यात्रा में अमेठी को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया। इस वीवीआईपी सीट के लिए नरेन्द्र मोदी ने स्मृति ईरानी की पहल पर 12 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली एके 203 रायफल और 529 करोड़ रुपये की दूसरी अन्य परियोजना प्रारंभ करवायी। अब मैदान में राहुल की स्मृति से सीधी भिडंत है। एसपी-बीएसपी के सहयोग का लाभ कांग्रेस को मिलना है।
जहां तक अमेठी लोकसभा का मूड भांपने की बात है तो लोगों को इस बात का गहरा दुख है कि पिछली परियोजनाएं जो अमेठी में राहुल गांधी ने शुरू करवायी थी वो योजनाएं दूसरी जगह चली गयीं और स्मृति ईरानी कुछ न कर सकीं। हटने वाली इन परियोजनाओं में मुसाफिरखाना में ट्रामा सेंटर का नहीं लगना एवं फूड पार्क का अमेठी से बाहर जाना तथा ट्रिपल आईटी का बंद होना महत्वपूर्ण है। जनता अंदर ही अंदर इन परियोजनाओं के पूरे न होने से नाराज है और उसका भी असर चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पड़ सकता है। जनसंदेश द्वारा कराये गये एक सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। सर्वे के अनुसार इस बार स्मृति ईरानी को पिछले चुनाव के मुकाबले कम मत मिल सकते हैं। क्षेत्र की पांच विधानसभा क्षेत्रों में कराये गये सर्वें में ज्यादातर लोगों का मानना है कि अगर राहुल यहां नहीं होते तो शायद स्मृति भी नहीं आती इसलिए उनको राहुल ही पसंद है।