बिहार में प्रचार खत्म: सबका दावा बनेगी उनकी सरकार

डेस्क। विधानसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो गये हैं। तीसरा कल है। बिहार के प्रमुख राजनीतिक दल जदयू, भाजपा, राजद व कांग्रेस के नेताओं ने अपनी बातें रखीं। सभी पार्टियां दावा कर रही हैं कि उनकी ही सरकार बनेगी। सभी ने कोरोना काल में भी लोकतंत्र के महापर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए जनता को बधाई दी। जनता की अदालत का फैसला तो दस नवंबर को आएगा पर सभी पार्टियां दावा कर रही हैं कि उनकी ही सरकार बनेगी। जदयू प्रदेश प्रवक्ता प्रो. सुहेली मेहता और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख ने विकास और पिछले 15 सालों के काम को इस चुनाव का मुद्दा बताया। राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी व कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि राज्य की जनता बदलाव के लिए वोट कर रही है।
जदयू की सुहेली मेहता ने कहा कि नीतीश कुमार को वर्ष 2005 में जो बिहार मिला था, वह बदहाल था। नीतीश कुमार बिहार को गड्ढे से निकालकर यहां तक ले आए हैं। घर-घर बिजली पहुंचायी है। गांव-गांव को पक्की सडक़ से जोड़ा है। कानून का राज स्थापित किया है। महिलाओं को सशक्त किया है। उनका एलान है कि महिलाओं को रोजगार के लिए दस लाख तक की सहायता देंगे। इसमें पांच लाख का राज्य सरकार का अनुदान होगा। विकास के मुद्दे पर जदयू शासन में आया था और मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि आगे मौका मिला तो बिहार को वे विकसित राज्य बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की घोषणाएं विपक्ष की तरह हवा-हवाई नहीं रहती है। मुख्यमंत्री ने जो भी कहा, उसे कर के दिखाया है।
राजद के मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दस नवंबर के बाद एनडीए का अता-पता नहीं रहेगा। दो चरणों के चुनाव ने साफ कर दिया है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि आज तेजस्वी यादव की शिक्षा को मुद्दा बना कर जदयू कह रहा है कि वे नौंवी पास हैं। अगर तेजस्वी यादव से इतना परहेज है तो नीतीश कुमार वर्ष 2015 में उन्हें उपमुख्यमंत्री क्यों बनाये थे? दरअसल तेजस्वी यादव की सभा में उमड़ रहा जन-सैलाब को देखकर जदयू नेता घबराए हुए हैं। राजद का भय दिखा-दिखा कर एनडीए वोट मांग रहा है। ऐसा लग रहा है कि उनलोगों का अपना कोई मुद्दा ही नहीं है। भाजपा परकहा कि बिहार में वह खुद ही आत्मनिर्भर नहीं है। इतने सालों में भाजपा का अपना कोई चेहरा राज्य में नहीं रहा।