किसान आंदोलन को भूतपूर्व सैनिकों ने दिया समर्थन

श्यामल मुखर्जी/दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की दिल्ली सीमा पर यूपी गेट पर किसानों का धरना 18 वें दिन भी जारी रहा। आज विजय दिवस पर धरने को समर्थन देने भूतपूर्व सैनिक भी पहुंचे। उधर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह का स्वर कुछ बदला नजर आया । उन्होंने कहा कि यदि सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस की मांग लिख कर देने को तैयार है तो हमें और क्या चाहिए ? किसान को हर हालत में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले और उसकी गारंटी हो तो यह किसान के हित में होगी। दूसरी ओर विजय दिवस के उपलक्ष में भूतपूर्व सैनिक भी समर्थन देने को धरना स्थल पर पहुंचे। भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को करारी शिकस्त देकर बांग्लादेश का निर्माण किया था। 16 दिसंबर को जीत के 50 साल पूरे हुए। उत्तर प्रदेश दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे किसानों को समर्थन देने के लिए भारी संख्या में सैनिक यूपी बॉर्डर पहुंचे। सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों की एसोसिएशन के करीब 200 भूतपूर्व सैनिक धरना स्थल पर पहुंचे और किसानों को अपना समर्थन दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष सूबेदार मेजर जे पी मिश्रा ने बताया कि आज अन्नदाता किसान अपनी मांगों को लेकर सडक़ों पर है लेकिन सरकार जिद पर अड़ी है। किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। इस लड़ाई में वेटरन एसोसिएशन उनके साथ है। रिटायर नरवीर सिंह का कहना है कि किसान सिर्फ सरकार से तीनों काले कानून वापस लेने की मांग कर रहा है। ऐसे में भूतपूर्व सैनिक किसानों के साथ खड़े हैं। वेटरन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कालीचरण प्रधान उड़ीसा से किसानों को समर्थन देने यूपी गेट पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रही है। किसान सिर्फ अपने हकों की लड़ाई लड़ रहा है। ऐसे में भूतपूर्व सैनिक किसानों के साथ हैं।