बाल का धंधा नहीं है गंदा: हो रहे हैं मालामाल

डेस्क। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिन बालों को कटने के बाद हम छूना भी पसंद नहीं करते, उनकी कीमत चांदी से भी ज्यादा है। जी हां। इन बालों की नीलामी होती है। कीमत भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि बालों की लंबाई के हिसाब से। 20 से 28 इंच के बाल 20 हजार से 40 हजार रुपये किलो बिकते हैं तो 50 इंच के बाल 70 हजार रुपये किलो तक पहुंच जाते हैं। सबसे सस्ते बाल 10 हजार रुपये किलो होते है। और यही फेंके हुए बाल दो युवा उद्यमियों को मालामाल कर रहे हैं। कुछ करने की ललक हो तो कोई भी काम कठिन नहीं। युवा उद्यमियों शिल्पा गुप्ता और आशीष धवन ने इसे साबित कर दिखाया है। इनोवेशन के दम पर कुछ हटकर बिजनेस शुरू किया और सफलता का मुकाम हासिल कर लिया। सात साल पहले तक ये दोनों सामान्य जिंदगी जी रहे थे। छोटी सी कंपनी में नौकरी करते थे। एक बार परिवार के साथ तिरुपति बालाजी दर्शन करने गए। वहां लोगों को अपने बाल दान करते देखा। उन्हें लगा कि बाल फेंक दिए जाते होंगे , लेकिन यह जानकर अचरज में पड़ गए कि दान किए गए इन बालों की कीमत करोड़ों में हो सकती है। यहीं से उनके कारोबारी दिमाग में एक आइडिया ने जन्म लिया। कानपुर लौटे और इन फेंके गए बालों को फैशन की दुनिया से जोड़ दिया। डिजायनर हेयर स्टाइल तैयार किए और एक्सपोर्ट में कदम रखा। देखते ही देखते उनके नायाब बिजनेस को अमेरिका और यूरोप ने हाथोंहाथ ले लिया। इसी का नतीजा है कि 27 साल की उम्र में इन दो युवाओं का हेयर बिजनेस 8 लाख डॉलर तक पहुंच गया। कानपुर के फजलगंज और आंध्र प्रदेश में बाल बनाने वाली फैक्टरियां खड़ी कर दी हैं। दिल्ली की रहने वाली शिल्पा ग्रेजुएट हैं तो कानपुर के सरोजनी नगर निवासी आशीष ने एमबीए और एलएलबी किया है। तिरुपति से लौटने के बाद उन्होंने इंटरनेशनल साइंस का अध्ययन किया। बालाजी में जाकर रिसर्च की। मार्केट से फीडबैक लिया तो पाया कि केवल यूरोप और अमेरिका ही नहीं भारत में भी डिजायनर हेयर की बड़ी मांग है। आज ये युवा उद्यमी बालों से बनी हर चीज बनाते हैं। सिर के खालीपन को बालों से भरने से लेकर केरोटिन, क्लीपिंग, टॉपर्स, बंडल्स या विफ्ट हेयर, विग और भौहें तक असली बालों से तैयार करते हैं। असली बालों को फैशन की दुनिया से जोडऩे का कारोबार आसान नहीं है। सबसे पहले खरीदे गए बालों की क्वालिटी देखी जाती हैं। दान के दौरान बाल जब सिर से हटाए जाते हैं तो उसके बाद गुच्छों के तौर पर रख दिया जाता है। इनमें हर तरह के बाल मिक्स होते हैं। बाल काफी गंदे होते हैं। फैक्टरी में उनकी क्लीनिंग होती है। इसके बाद तरह-तरह के शेप दिए जाते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के डिजायनर बाल तैयार किए जाते हैं।