मुरादनगर के मुखिया झाड़ रहे हैं पल्ला: जब मचा हल्ला

श्यामल मुखर्जी/दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। नगर पालिका मुरादनगर के चेयरमैन श्मशान घाट के लेंटर गिरने के 30 घंटे बाद पत्रकारों से रूबरू हुए तो कहा कि संस्था का चेयरमैन होने के नाते मैं मामले की जिम्मेदारी लेता हूं तथा संस्था का चेयरमैन होने के नाते मेरी जिम्मेदारी भी बनती है। उन्होंने कहा कि मुरादनगर ऐसी नगर पालिका है जहां सभी प्रकार के निर्माण कार्य ईटेंडर प्रणाली से छोड़ें जाते हैं । नियम अनुसार शासन ने 10 लाख से ऊपर के टेंडर ई टेंडरिंग के माध्यम से छोडऩे को कहा है। यहां तक कि 2 लाख के टेंडर भी ई टेंडर द्वारा भेजे जाते हैं। श्मशान घाट का निर्माण कार्य का टेंडर फरवरी में छोड़ा गया था। इसका कुल वर्क आर्डर करीब ₹55 लाख का है। यह कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है । इसमें 35 लाख का भुगतान ठेकेदार को किया जा चुका है तथा पालिका के हर कार्य की मॉनिटरिंग होती है। इसमें अवर अभियंता की रिपोर्ट के बाद पीडब्ल्यूडी के दो अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य की गुणवत्ता की रिपोर्ट दी जाती है। इसके बाद ठेकेदार का पूरा पेमेंट किया जाता है। पालिका में सर्वत्र प्रचारित छोटे से लेकर बड़े स्तर तक व्याप्त कमीशन खोरी की बात को नकारते हुए स्पष्टीकरण दिया कि सभी प्रकार के निर्माण कार्य की टेंडर के ठेकेदारों को दिए जाते हैं। इसमें नियमों का पूरा ख्याल रखा जाता है लेंटर गिरने पर मौत का तांडव मचने पर भ्रष्टाचार की बात कही जा रही है । पूरे मामले की जांच होनी चाहिए जबकि प्रमुख दलों के नेताओं व स्थानीय नागरिकों ने मामले की जांच की पुरजोर मांग उठाते हुए कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि दाल में काला ही नहीं पूरी दाल ही काली है। अब तो सभी लोग सफाई देते नजर आएंगे लेकिन कुछ दिनों बाद यह घटना भी (आकाश नगर गाजियाबाद) (सावेरी दुर्घटना नोएडा) के रूप में भुला दी जाएगी। पत्रकारों से वार्ता के दौरान सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि घटना के समय पर वह मुरादनगर में मौजूद नहीं थे बल्कि राजकोट गुजरात में थे। घटना की जानकारी उन्हें फोन पर मिली।