समय से ध्यान दे सरकार: जीडीए कर रहा है मुरादनगर हादसे का इंतजार

गाजियाबाद। चौंकिएगा मत भगवान ना करे देश विदेश में कहीं पर भी मुरादनगर श्मशान घाट लेंटर गिरने जैसी घटना की पुनरावृति हो लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की कारगुजारियों के चलते सब कुछ संभव होने की आशंका है। यहां तथ्य प्रकाश में आए जाने पर समय रहते अवगत कराना आवश्यक है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा लगभग दस वर्ष पूर्व निर्मित कर्पूरी पुरम योजना में अपने स्टाफ कर्मचारियों के लिए स्टाफ क्वार्टरों का निर्माण किया गया था जिसमें पूर्व अधिकारियों द्वारा स्टाफ क्वार्टर के आवंटन में ही जबरदस्त धांधली की गई। दबी जुबान से सर्वत्र चर्चा अनुसार कहते हैं मुंह देखकर थप्पड़ मारा गया यानी कि गांधी जी को नमस्कार,हुआ था चमत्कार। सुविधा शुल्क देने वाले अपात्र कर्मचारियों को डुप्लेक्स भवनों का आवंटन किया गया तथा स्टॉफ भवन को प्राप्त करने के लिए पात्र कर्मचारियों को खून का घूंट पीकर चुप रह जाना पड़ा। सक्रिय व जुझारू अपने हित की रक्षा करने में नेतृत्व सक्षम पात्र कर्मचारी कई माध्यमों से शिकायत भी करते रहे लेकिन नौकरशाहों ने एक न सुनी। दूसरा पहलू यह है कि कर्पूरी पुरम आवासीय योजना में निर्मित भवन आज भी खंडहर स्थिति में है जबकि इससे पूर्व के प्राइवेट बिल्डर द्वारा तैयार किए गए 30 वर्ष पूर्व निर्मित भवन भी आज माकूल स्थिति में है। अब सुनियोजित तरीके से अधिकारियों द्वारा निर्माण में हुई धांधलियों को छिपाने के लिए आनन फांनन में नीलामी के माध्यम से बेच कर भ्रष्टाचार को दफन किया जा रहा है। हुआ यूंकि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा लगभग अब से 10 वर्ष पहले अपने स्टाफ को स्टाफ क्वार्टर मुहईया कराने के लिए लगभग 200 डुप्लेक्स भवनों का निर्माण किया गया था जो न सिर्फ घटिया सामग्री लगाने के कारण जर्जर हालत में पहुंच गए अपितु अपुष्ट सूत्रों की मानें तो सुविधा शुल्क न मिलने के कारण पात्र कर्मचारियों को आवंटित भी नहीं किए गए जो रख रखाव के अभाव में ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि मुरादनगर हादसे की कभी भी पुनरावृत्ति हो सकती है।
बताते चलें कि एमपी शर्मा वरिष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा इन भवनों में घटिया सामग्री से निर्माण एवं भ्रष्टाचार को दबाने और वर्तमान समय में अभियंत्रण खंड के अभियंताओं एवं अधिकारियों की दुरभि संधि के चलते निर्माण के समय में तैनात भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए नीलामी के माध्यम से तुरत फुरत में इन भवनों को बेचने की शिकायत प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन को भी असंगठित आवाज के पत्र के माध्यम से की गई थी लेकिन लगभग एक माह बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है, और शासन तथा प्रशासन मुरादनगर शमशान घाट जैसे एक और हादसे का इंतजार कर रहा है। एमपी शर्मा ने मुख्यमंत्री उ0प्र0 सरकार से सादर अनुरोध करते हुए लिखा कि आप आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के भार साधक मंत्री भी हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कठोरतम कार्यवाही करते हुए इन भवनों के निर्माण के उद्देश्य,घटिया सामग्री और निर्मित होने के दस वर्षों के बाद तक भी पात्र स्टाफ को आवंटित नहीं किए जाने के कारणों की जांच विशेष समिति गठित करा कर न्याय का मार्ग प्रशस्त करें ताकि आगे भविष्य में प्रदेशभर के अन्य अधिकारियों को इससे सबक मिल सके तथा समय रहते मुरादनगर श्मशान घाट लेंटर गिरने जैसे हादसे की पुनरावृति रोकी जा सके।साथ ही यह भी जरूरी है कि मुरादनगर श्मशान घाट के लेंटर गिरने के मामले में नगर पालिका के शासको  से लेकर अधिकारियों कर्मियों तक के नारको टेस्ट कर सच्चाई सामने आनी चाहिए।