किसानों की दो टूक: मरेंगे या जीतेंगे

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत का नतीजा भी वही हुआ जो अब तक होता रहा यानी दोनों पक्ष अपने रुख पर अड़े रहे और सहमति नहीं बन पाई। कई बैठकों में हां या ना में जवाब की मांग वाला पोस्टर दिखाते रहे किसान तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते रहे, जबकि सरकार ने फिर दोहराया कि वह संशोधन को तैयार है। इस दौरान एक किसान नेता ने कॉपी पर लिखकर जो संदेश दिया वह किसानों के रुख को साफ करने के लिए काफी है। किसान नेता ने लिखा- मरेंगे या जीतेंगे।कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच 8वें दौर की बातचीत हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में बात की।इससे पहले, चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, वहीं सरकार ”समस्या वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करने पर जोर दिया।किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी।इससे पहले, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने उम्मीद जताई कि शुक्रवार की बैठक में कोई समाधान निकलेगा। चौधरी ने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक में किसी समाधान तक पहुंचा जा सकेगा। प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों ने पहली बैठक में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की होती तो अभी तक तो हम गतिरोध को समाप्त कर चुके होते। उन्होंने कहा कि पहली बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं की गई थी।