सुलतानपुर में आरएसएस व जनसंघ की अलख जगाने वाले बेचू सिंह याद किये गए

सुल्तानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जड़े जामने वाली स्वर्गीय ठाकुर बेचू सिंह की 39 वीं पूर्ण तिथि मनाई गई। ज्ञात हो कि पहली बार 1942 में संघ की सुलतानपुर में स्थापना हुई। जिसके कर्ताधर्ता ठाकुर बेचू सिंह ही थे। बाद में जनसंघ से लेकर विहिप तक की स्थापना भी बेचू सिंह के ही नेतृत्व में हुई। स्वर्गीय बेचू सिंह राष्ट्रधर्म पत्रिका के आजीवन ट्रस्टी, और जिले की दर्जनों शैक्षिक एवं सामाजिक संस्थाओं की स्थापना में भी उनका प्रमुख सहयोग रहा। सुल्तानपुर जिले में आर्य समाज की स्थापना अमेठी के राजा रणन्जय सिंह के साथ स्वर्गीय ठाकुर बेचू ने ही करवाई। पुण्यतिथि के अवसर पर स्वर्गीय ठाकुर बेचू सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा करते हुए उनके पौत्र कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि स्वर्गीय बेचू सिंह जीवन पर्यन्त संघ के कार्यों ने प्रति निष्ठावान एवं समर्पित रहे। संघ के तत्कालीन वरिष्ठ प्रचारक भाऊराव देवरस से लेकर रज्जू भइया तक के साथ संघ का कार्य किये कठिन से कठिन परिस्थियों में भी कभी विचलित नहीं हुने 1948 मे गांधी जी की हत्या के बाद उठे बवंडर में इन्हे बनारस जेल में बंद किया गया। कमजोर गृहस्थी होते हुये भी इन्होंने बड़े धैर्य से मुकाबला किया। विपरीत परिस्थितियों में भी संघ के कार्य को आगे बढ़ाया ।
बेचू सिंह संघ के राष्ट्रीय संप्रेक्षक भी बनाये गये। जनसंघ की स्थापना के बाद सक्रिय राजनीतिक भगीदारी के चलते जिले से जनसंघ के विधानसभा में कई प्रत्याशी चुनाव जीते। समर्पित कार्यकर्ता की तरह बेचू सिंह पीछे रह कर लोग को आगे बढ़ाते रहे। उस दौर की घटनाओं को याद करते हुये कौशलेन्द्र प्रताप सिह ने बताया कि उस दौर में जब कांग्रेस का दबदबा था, बहुत हिम्मत एवं हौसला आफजाई के बाद जनसंघ के लिए प्रत्याशी मिलते थे। बेचू सिंह के पास सादे नामांकन पत्र और पार्टी का समर्थन पत्र रखा रहता था। योग्य प्रत्याशी मिलने पर उनका नाम भर कर नामांकन कराते थे। 1975 में आपातकाल के की चर्चा करते हुये उन्होने बताया कि संघ एवं जनसंघ के लिए यह सबसे कठिन दौर था। बेचू सिंह के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी थी। प्रशासन से छुप कर के राजनैतिक गतिविधियां चलाने की भी और कार्यकर्ताओं की हिम्मत बढ़ाने की भी। रोज रोज घर पर पुलिस का छापा परिवार एवे रिश्तेदार पर भारी दबाव के बीच कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते रहे। फिर भी दो माह के लुका छिपी के बाद वारण्ट एवं कुर्की का आदेश हो जाने के बाद जेल गये और 19 माह कारावास में रहे। जेल से आने के बाद 1977 के आम चुनाव में उतनी ही निष्ठा से काम किया। लेकिन राजनैतिक पद प्रतिष्ठा से बचकर यही कहते रहे कि मेरा जन्म संघ को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एवं हिन्दुत्व को जगाने के लिए हुआ है। यह हमेशा कहा करते थे कि हमारे अच्छे कार्यों की पहचान हमारे परिवार से भी होगी। जिसका परिणाम यह हुआ कि लगभग 80 सालों से बेचू सिंह का पूरा परिवार बिना किसी लोभ लालच के संघ एवं हिन्दुत्व के प्रति आज भी समर्पित है। उनकी प्रेरणा का ही असर रहा कि पुत्र स्व. महेश नारायण सिंह उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी संघ के आजीवन प्रचारक बने रहे। और अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ रामजन्म भूमि आन्दोलन को समर्पित किया आयोध्या में रहकर आन्दोलन खड़ा करने से लेकर कार सेवकों का अयोध्या में अपार जन समूह इक_ा करने तथा सफल संचालन में कामयाब रहे।