राम मंदिर प्रगति: एक महीने में खोदा जाएगा 6 मीटर गहरा गड्डा, डिजाइन भी फाइनल नहीं

विशेष संवाददाता, लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की एक साल में दूसरी बार नींव खोदी जा रही है। पहले आधुनिक पिलर तकनीक से अब प्राचीन तकनीक से नींव तैयार करने के लिए 6 मीटर गहरी खोदाई शुरू हो गई है। निर्माण समिति की पहले दिन की बैठक के बाद ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने कहा कि मंदिर निर्माण प्राचीन तकनीकी से होना है। यह तय है, अभी एल एंड टी व टाटा कंसल्टेंसी इंजिनियर्स ने नींव का आर्किटेक्चर डिजाइन फाइनल नही किया है। डिजाइन के अगले 15 दिन में मिल जाने की उम्मीद है।
नये तरीके से नींव तैयार करने के लिए लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) को जन्मभूमि पर एक महीने में खोदायी करनी है। यह खोदायी पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र में होनी है। खोदायी के बाद चूने और पत्थरों की सतहों को दबाव देकर भरा जाएगा। इसके पहले सीमेंट के पिलर तकनीक से नींव तैयार करने के लिए एल एंड टी ने ही भूमि का समतलीकरण किया था। परकोटा आदि को छोड़ कर मंदिर में अब सीमेंट का प्रयोग नही होगा। ध्यान रहे नींव एल एंड टी को और मंडोअर सहित 161 फिट ऊंचा, पांच शिखरों का भव्य मंदिर सीबी सोमपुरा को बनाना है।
याद रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन को 15 दिन बाद 5 फरवरी को एक साल पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को भूमि पूजन किया था। ट्रस्ट ने 14 सितंबर से पिलर तकनीक से नींव निर्माण का काम शुरू किया था जो फेल हो गया। इसके बाद ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष के नेतृत्व में एक कमेटी बनी। जिसने देश के र्शीष विशेषज्ञों की 8 सदस्यी कमेटी का गठन किया। जिसने प्राचीन तकनीक से नींव बनाने का सुझाव दिया था। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान ट्रस्ट ने करोड़ों रूपये खर्च कर दिये है। हालांकि ट्रस्ट ने आय व्यय का ब्यौरा सार्वजनिक नही किया है।
ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्र ने कहा मंदिर के नींव की खोदाई प्रारंभ। नींव भराई के कंपोनेंट, मैटेरियल्स की इंजीनियरिंग पर अनुसंधान चल रहा है। मंदिर निर्माण समिति की बैठक में टीसी और एलएनटी कंपनी के अधिकारियों ने अब तक हुए काम का दौरा ट्रस्ट के समक्ष प्रस्तुत किया है। इंजीनियर्स की रिपोर्ट के आधार पर मंदिर की नींव की खुदाई प्रारंभ हुई है। नींव की भराई में प्रयोग होने वाले मैटीरियल्स पर आईआईटी चेन्नई आईआईटी रुडक़ी और दिल्ली के इंजीनियर अपनी रिपोर्ट करेंगे प्रस्तुत। इस रिपोर्ट के आधार पर नींव की भराई का कार्य होगा शुरू। नींव खुदाई के साथ ही पत्थरों की खरीद पर एलएनटी, टीसी और ट्रस्ट करेगा विचार। नींव भराई के बाद परकोटे का कार्य होगा शुरू। राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में दूसरे दिन टीसी और लार्सन एण्ड टूब्रो के इंजिनियर्स राम जन्मभूमि में अब तक हुए कार्य का प्रेजेंटेशन देंगे ।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति की दो दिन लगातार चलने वाली बैठक गुरूवार को शुरू हुई। जिसमें मंदिर के पत्थरों की आपूर्ति पर गहन चर्चा की गई। समिति को फैसला लेना है कि मंदिर में लगने वाले गुलाबी पत्थरों की आपूर्ति एल एंड टी करेगी या ट्रस्ट सीधे आपूर्तिकर्ताओं से लेगा। मंदिर में राजस्थान के बंशी पहाड़पुर की खदानों का करीब 4 लाख घन फुट गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल होना है। सूत्रों का कहना है कि पत्थरों की आपूर्ति के लिए एल एंड टी ने गुलाबी पत्थर आपूर्ति करने वाली 10 से अधिक फर्मो से कोटेशन मांगें है।
मंदिर निर्माण समिति की बैठक में शुक्रवार को जन्मभूमि परिसर को विकसित करने की प्रस्तावित योजना का खाका पेश किया जाएगा। सूत्रों का कहना कि परिसर के लिए प्रस्तावित योजना निर्माण समिति के सदस्य अनूप मित्तल पेश करेगें। ट्रस्ट सूत्रों का कहना है कि विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिर के लिए पत्थरों को 200 से 400 रूपये प्रति घन फुट लिया था। तमाम पत्थर लोगों ने दान भी किये थे। मंदिर के लिए 60 हजार घन फुट पत्थर पहले ही तराशे जा चुके है। पत्थरों की मौजूदा दरें काफी बढ़ चुकी है। इसके साथ नींव में उप्र के मिर्जापुर के पत्थरों का प्रयोग होगा। उप्र में बसपा की सरकार के दौरान गुलाबी पत्थरों की मांग काफी बढ़ गई थी। जिससे दरें काफी ऊंची हो गई। जिसका असर मंदिर के लिए पत्थरों की आपूर्ति भी पढऩे की संभावना है। बंशीपहाड़पुर के एक खदान मालिक ने बताया कि इस समय ‘ए’ ग्रेड के पत्थरों की खदानों पर रोक लगी है। ‘बी’ ग्रेड के पत्थरों की खदान पर कीमत 500 रूपये से 700 रूपये प्रति घन फुट तक है। ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय बंसल का कहना है कि नींव बनने के बाद मंदिर निर्माण 39 महीनें में पूरा हो जाएगा। श्रीरामलला विराजमान को प्राचीन गर्भगृह से 25 मार्च 2020 को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अस्थायी मंदिर में विराजमान किया गया था। यह अस्थायी वातानुकूलित मंदिर चीड़ की लकड़ी का बना है।