महामंडलेश्वर मामला: जांच के लिए बनी महंतों की टीम

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संवाददाता
इलाहाबाद । निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि के मामले की जांच के लिए महंतों की चार सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। यह टीम उनके व्यावसायिक व परिवारिक रिश्तों की पड़ताल करेगी। जांच निष्पक्ष एवं पूरी गहराई से होए उसके लिए छह माह का समय तय दिया गया है। इधर जानकरी मिल रही है कि सच्चिदानंद नोएडा के एक पांच सितारा होटल में डेरा जमाये हैं। नोएडा से जनसंदेश सूत्र ने बताया कि वह काफी समय से इस होटल में है और पूछने पर होटल वाले कहते हैं कि वह समाधि में है।
जांच टीम अपनी रिपोर्ट निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को सौंपेगी। उसी के अनुरूप सच्चिदानंद के भविष्य का फैसला होगा। दोष साबित होने पर उनके महामंडलेश्वर बने रहने या पदमुक्त करने का फैसला अखाड़ा परिषद व निरंजनी अखाड़ा के पदाधिकारी करेंगे।
गुरु पूर्णिमा पर प्रयाग स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में भव्य समारोह के बीच सच्चिदानंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। कहा जा रहा है कि महामंडलेश्वर बनाए गए सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि नोएडा में बियर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े हैं। यह मामला सामने आने के बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का निर्णय लिया। चार महंत को सच्चिदानंद से जुड़ी हर जानकारी एकत्रित करने के लिए लगाया गया है। महंतों की पहचान गुप्त रखी गई है। यह सच्चिदानंद के उनके पारिवारिक सदस्यों से संबंध पर नजर रखेंगे। सच्चिदानंद से उनका परिवार का कोई सदस्य मिलता है, या वह पुराने कारोबार में लिप्त पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि सच्चिदानंद पहले क्या थे, हमें उससे कोई लेना.देना नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार से फिलहाल उनका संबंध है अथवा नहीं। बकौल नरेंद्र गिरिए यदि सच्चिदानंद ने संन्यास धर्म ग्रहण करने के बाद घर परिवार तथा व्यवसाय से खुद को अलग नहीं किया होगा तो यह संत परंपरा के खिलाफ है। ऐसे में उनकी पदवी वापस लेकर उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।