किसान को जातियों में बांटना भी राष्ट्रद्रोह: मदन भैया

दिनेश शर्मा, गाजियाबाद। किसान आंदोलन को चलते दो महीने से ज्यादा समय बीत गया है। इस बीच आंदोलित किसानों के संबंध में अपनी वैचारिक मानसिकता के अनुसार तरह-तरह की टीका टिप्पणीया की जाती रही है। किसान आंदोलन में शरीक एक संप्रदाय और जाति विशेष के लोगों को खालिस्तानी और आतंकी जैसे अभद्र शब्दों से नवाजा गया। कुछ उद्दंड किस्म के लोगों ने इन किसानों को देशद्रोही और आतंकी कहकर राजनीति चमकाने का प्रयास किया लेकिन जिस तरह गरीब की आह और बद्दुआ किसी को बर्बाद कर सकती है उसी तरह किसान की बद्दुआ और दिल से निकली हुई आह भी गरीब की आह से कम नहीं होती। ध्यान रहे कि ठिठुरन भरी कडक़ड़ाती ठंड में किसान के दिल से निकली हुई आह किसानों के प्रति विद्वेष की भावना रखकर उन्हें आतंकी और देशद्रोही कहने वालों को भी मिट्टी में मिला सकती है। अर्श से फर्श पर ला सकती है। इतिहास गवाह है देश के किसी भी क्षेत्र में जिसने किसान से पंगा लिया है वह कभी सरसब्ज नहीं हो पाया है। मदन भैया ने कहा कि कडक़ड़ाती ठंड और ऊपर से हुई बरसात में अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलित किसानों द्वारा जुटाई गई तमाम जरूरी सामग्री और सुविधाओं पर कटाक्ष करके निशाना साधा गया लेकिन कटाक्ष करने वाले लोगों के इन व्यंग्यात्मक बाणो का भी जब आम लोगों पर असर नहीं हुआ और आंदोलन का कारवां बढ़ता गया तब गणतंत्र दिवस पर एक राष्ट्र दोही द्वारा देश को अपमानित और शर्मसार करने वाली घटना की तोहमत भी इन भोले भाले किसानों पर मढने का प्रयास किया गया लेकिन सत्य की सदा विजय हुई है,सच्चाई देश की जनता के सामने हैं। इस तरह तमाम प्रताडऩाओं,संघर्षों के बाद भी सोने की तरह तप कर निकलने वाले किसान आंदोलन में एक नई चमक पैदा हुई है। चमक को पैदा करने के महानायक चौधरी राकेश टिकैत जी का मैं गुर्जर समाज की तरफ से धन्यवाद करता हूं जिन्होंने किसान को एक नई पहचान देने का काम किया है और किसान आंदोलन में नई जान फूंकने का काम किया है। इस चमक को फीका करने के लिए अभी भी कुछ षड्यंत्रकारी ताकतें किसान समाज को जातियों में बांटने के लिए प्रयासरत है। मदन भैया ने कहा कि किसान समाज विभिन्न जातियों और संप्रदायों का एक संगठित रूप है। किसान शब्द में देश की विभिन्न जातियां और संप्रदाय समाहित हैं जो देश की एकता और अखंडता का़ द्योतक है। इसलिए किसान समाज को जातियों में विभक्त करने वालों की साजिश देशद्रोह से कम नही है। हमें ऐसे साजिश कर्ता षड्यंत्रकारियो से सावधान रहने की जरूरत है। निजी स्वार्थपरता और राजनैतिक लालसा के लिए प्रयासरत चंद लोगों के किसी बहकावे में आकर हम किसान समाज में वैमनस्यता के बीज नहीं बोने देंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसान समाज का अभिन्न अंग गुर्जर समाज ऐसे विघटनकारियों के मंसूबों को पूरा नहीं होने देगा। चार बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि देश का समस्त गुर्जर समाज किसान आंदोलन में किसान समाज के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़ा है और खड़ा रहेगा। खास तौर पर 26 जनवरी के बाद पैदा हुई विषम परिस्थितियों में धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पहुंच कर गुर्जर समाज ने किसान समाज की अगुवाई कर रहे चौधरी राकेश टिकैत को इस बात का खुला संदेश भी दे दिया है कि गुर्जर समाज तन,मन,धन से किसान आंदोलन में किसानों के साथ है। पूर्व विधायक मदन भैया ने कहा कि किसान आंदोलन के घटक जाट और गुर्जर समाज के लोगों में सदैव भाईचारा रहा है। राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए इस भाईचारे को खत्म करने के प्रयास करने वाले चंद लोगों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। बल्कि इस आंदोलन से यह भाईचारा और मजबूत होकर उभरेगा।