लखनऊ। यूपी में डाटा सेंटर परियोजना लगाने वाली कंपनियां सात तरह के श्रम कानूनों के दायरे से बाहर होंगी। यह कानून मातृत्व लाभ, परिश्रामिक भुगतान, न्यूनतम मजदूरी, रिक्तियों आदि से जुड़े हैं। कंपनियों को इस बाबत स्व प्रमाणपत्र देना ही होगा। प्रदेश सरकार ने डाटा सेंटर नीति में इस बात का खास तौर पर प्रावधान किया है। विशिष्ट शिकायतों की स्थिति में किए जाने वाले निरीक्षणों को छोडक़र डाटा सेंटर इकाईयों को इन श्रम अधिनियम व उसके अधीन नियमों के अंतर्गत निरीक्षण से छूट होगी। यूपी में हाल में कई कंपनियों ने डाटा सेंटर परियोजना में निवेश के लिए सहमति जताई है।
डाटा संचरण व उपभोग की मांग काफी बढ़ रही है। इस कारण देश में डाटा सेंटर का बाजार बढ़ रहा है। वैश्विक डाटा में भारत की उपयोगिता हिस्सेदारी बीस प्रतिशत है। डाटा सेंटर में दूसरी कंपनियां अपना डाटा सुरक्षित रख सकती हैं। अभी यह काम विदेशों में किया जाता है। यूपी सरकार ने भविष्य के मद्देनजर यूपी में डाटा सेंटर बनाने वाली कंपनियों को लुभाने के लिए ही आकर्षक डाटा सेंटर नीति लागू की है। सरकार की योजना 250 मेगावाट डाटा सेंटर का उद्योग विकसित करना है। नोएडा व ग्रेटर नोएडा डाटा सेंटर के हब बनने जा रहे हैं। हाल में हीराननचंदानी समूह के डाटा सेंटर का शिलान्यास किया गया है।