चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य बकाया आठ हजार करोड़ के पार

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लखनऊ।(विसं.) प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्ना मूल्य का बकाया आठ हजार करोड़ से भी ज्यादा हो गया है। गन्ना किसानों को बकाया भुगतान के हाईकोर्ट के आदेश और प्रदेश सरकार के सख्त रवैये के बाद भी किसानों को धनराशि का इंतजार है। केन्द्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए 6000 करोड़ की केन्द्रीय सहायता देने का एलान किया था लेकिन चीनी मिलें न तो किसानों का भुगतान कर रही हैं और न ही ऋण के लिए बैंकों से कोई कवायद कर रही हैं।
उधर भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में चीनी मिलों के इस रवैये को लेकर सरकार को घेरा है। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक चीनी मिलों का बकाया बढ़कर 8246.26 करोड़ रुपये हो गया है। इनमें 475.70 करोड़ रुपये सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के चीनी मिलों पर बकाया धनराशि 7 हजार करोड़ के ऊपर पहुंच गया है।
सरकार ने प्रदेश के गन्ना आयुक्त से लेकर प्रमुख सचिव गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग को भी चीनी मिल प्रबंधन से व्यक्तिगत बात कर भुगतान कराने का जि मा सौंपा है, लेकिन हालात जस के तस हैं। किसानों के बकाये को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि सरकार एक ओर तो किसान वर्ष मना रही है, लेकिन यही सरकार गन्ना किसानों का भुगतान नहीं करा रही है। उन्होंने कहा कि 8246.26 करोड़ गन्ना किसानों के बकाया भुगतान शेष है। यहां तक कि 475.70 करोड़ रुपये सहकारी क्षेत्र की मिलों को बकाये का भुगतान गन्ना किसानों को करना है। प्रवक्ता श्री पाठक ने कहा कि केन्द्रीय सरकार ने 10 जून को 6,000 करोड़ रुपये का पैकेज देने का निर्णय लिया था ताकि गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान कराया सके लेकिन यह पैकेज मिलने के बावजूद सरकारी स्तर पर उचित पहल के न होने के कारण गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
निजी क्षेत्र की मिलों को तो छोड़ दीजिए सहकारी क्षेत्र की मिलों पर 475.70 करोड़ का गन्ना भुगतान शेष है। उन्होंने कहा कि 6000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज से सिर्फ किसानों के भुगतान सुनिश्चित करने की शर्त के साथ दिये जाने थे लेकिन अखिलेश सरकार की नीतियों के चलते मिल मालिकों ने भुगतान के लिए ऋण की लेने की भी पहल नहीं की।