पुरानी कांग्रेस बनती दिख रही आप

अभिषेक मिश्रा ‘अर्जुन’। साल 2011 में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जन लोकपाल बिल की मांग की लड़ाई लड़ते हुए अन्ना हज़ारे के आंदोलन से जन्मी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अब धीमे धीमे हिंदुस्तान की राजनीति में पैर पसारने लगी है । शुरुआत में बड़ी सियासी उठापटक व संघर्ष के बाद , कमजोर से सांगठनिक ढांचे के साथ चुनाव लडऩे को तैयार आम आदमी पार्टी को निर्वाचन आयोग ने झाड़ू का निशान दिया । भारतीय राजनीति के गढ़ दिल्ली में विधानसभा चुनावों से पारी की शुरुआत करने वाली आप अब भारत के अलग अलग हिस्सों में अपने संगठन को मजबूती से खड़ा करने का काम कर रही है । विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं को लुभाते हुए,अपना ज़मीनी ढांचा मज़बूत करते हुए, आम आदमी पार्टी अब छोटे से लेकर बड़े सभी प्रदेशों में अपनी पहचान बनाने में जुटी है । इस बात से कोई इनकार नही कर सकता है कि अरविंद केजरीवाल व उनके सरकार के कई मंत्रियों के काम को दिल्ली की जनता व अन्य प्रदेशों के लोग भी सराह रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी काफी पढ़े लिखे नौजवानों के कंधों पर सौंप रखी है और ये भी इस दल के निरंतर मजबूत होते रहने का एक कारण है । साल 2013 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर दिल्ली में सरकार बनाने के बाद केजरीवाल सरकार ज्यादा दिन नही चल पाई और 2014 फरवरी में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया । आम आदमी पार्टी को बहुत ही कम समय मे अर्श से फर्श तक का सफर तय करना पड़ा । लेकिन आप ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में जोरदार वापसी करते हुए कांग्रेस और भाजपा को चौंका दिल्ली में दोबारा अपनी सरकार बना ली । आज दिल्ली में आप की लगातार तीन बार से बहुमत की सरकार है । साथ ही अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी अपने हाथ आज़मा रही है । पंजाब में आप के 19 विधायक हैं व केजरीवाल को पंजाब के लोग कांग्रेस , अकाली दल व भाजपा के विकल्प के रूप में देखना पसंद कर रहे हैं । जिस तरह से आप अब कांग्रेस व भाजपा कोई विभिन्न राज्यों में टक्कर दे रही है उससे ये साफ ज़ाहिर है कि आप अब किसी भी राज्य में तीसरे दल के रूप में नही लड़ेगी, संभवत: वह बड़े बड़े दलों के किले में सेंधमारी करने को तैयार बैठी है । हाल ही में हुए गुजरात निकाय चुनावों में भी आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गढ़ गुजरात मे अच्छी सेंधमारी की और 27 सीटें जीतने में कामयाब रही । उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से लेकर गोआ जैसे छोटे राज्यों में आम आदमी पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है और आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी अगर यह राजनीतिक दल हम सबको चौंका दे तो इसमें कोई बड़ी बात नही है ।