पंचायत चुनाव और ओवैसी का उबाल

 

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लखनऊ। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजलिस -ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) ने यूपी का राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है। पार्टी प्रदेश में पंचायत चुनाव में उतरने की योजना बना रही है। इससे भारतीय जनता पार्टी में खुशी और समाजवादी पार्टी (एसपी) में बेचैनी है।
एमआईएम के सूत्रों ने बताया कि असदुद्दीन ओवैसी ने पंचायत चुनाव लडऩे के विचार को हरी झंडी दिखा दी है। अपने उग्र विचारों के लिए मशहूर एमआईएम अपने प्रत्याशियों के चयन और चुनावी रणनीति पर मंथन कर रही है। पंचायत चुनाव यह बता देंगे कि यूपी में कौन कितने पानी में है। ओवैसी की पार्टी का मानना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले इस ओवैसी लंबे अर्से से राज्य में कदम जमाना चाह रहे हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार उन्हें तीन बार रैली करने की इजाजत देने से मना कर चुकी है। हालांकि इफ्तार पार्टियों के नाम पर ओवैसी आगरा और मेरठ जा चुके हैं। दोनों ही शहरों में मुस्लिम मतदाता अच्छी संख्या में हैं। एसपी को लगता है कि एमआईएम उसके भरोसेमंद मुस्लिम जनाधार में सेंध लगाएगी।
एमआईएम की उत्तर प्रदेश इकाई के नेता तौहीद अहमद सिद्दीकी ने कहा कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव लड़ेगी। लेकिन, सिर्फ चुनिंदा जगहों पर और खास रणनीति के तहत। सूत्रों का कहना है कि एमआईएम की निगाह खास कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर है। यह वही हिस्सा है जहां मुजफ्फरनगर दंगे के बाद काफी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण देखा गया था। ओवैसी के भड़काऊ भाषणों, याकूब मेमन को फांसी का विरोध और हिंदुत्व के झंडाबरदारों के खिलाफ उनकी बयानबाजियों ने उन्हें प्रदेश के युवा मुस्लिमों के एक तबके में लोकप्रिय बना दिया है।
ओवैसी की एंट्री से एसपी ही नहीं बीएसपी और कांग्रेस के माथे पर भी शिकन पड़ी है। ये सभी पार्टियां मुसलमानों का वोट हासिल करती रही हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हमें नहीं मालूम की कितना असर पड़ेगा लेकिन एमआईएम का यूपी आना चिंता की बात है। कुछ राजनीतिक पंडितों को लगता है कि एमआईएम कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ पाएगी।
पार्टी का हाल अपना दल जैसा होगा। जोरशोर से जिसकी शुरुआत हुई और जिसे मिटते भी देर नहीं लगी। लेकिन, अगर ओवैसी की पार्टी के यूपी आने से कोई खुश है तो वह है बीजेपी। पार्टी को लगता है कि ओवैसी के आने से और अधिक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण होगा और इसका फायदा उसे मिलेगा। हिंदू बीजेपी के पीछे गोलबंद हो जाएंगे। साथ ही इससे एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के वोट और बंट जाएंगे।