अधिकांश राज्यों में सहयोगी पार्टी है कांग्रेस : मुश्किल है राह

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी अधिकांश राज्यों में या तो महागठबंधन का हिस्सा है या फिर प्रमुख क्षेत्रीय दलों की एक छोटी सी सहयोगी पार्टी बनकर रह गई है। इस कारण से राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की राजनीतिक ताकत कम होती जा रही है। तमिलनाडु की ही बात करें तो डीएमके ने देश के सबसे पुरानी पार्टी के लिए सिर्फ 25 सीटें छोड़ी है। हाल ही में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में चुनाव लडऩे के लिए 243 में सिर्फ 74 सीटें आरजेडी ने छोड़ी। इस चुनाव में कांग्रेस का महागठबंधन के घटक दलों में सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा। इसका असर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर भी दिखा है। असम की ही बात करें तो 2016 से पहले यहां कांग्रेस पार्टी का कब्जा था। हालांकि यहां अब कांग्रेस को ‘महाजोट’ का निर्माण करना पड़ा है। इसके जरिए कई छोटे संगठनों को इक_ा किया गया है। मुस्लिम आधार को मजबूत करने के लिए इसमें एक अल्पसंख्यक संगठन को शामिल किया गया है।