ममता का पुराना साथी ही कर रहा टीएमसी को कमजोर

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव शुरू होने में अभी एक पखवाड़े से भी ज्यादा का वक्त बचा है लेकिन महीनों पहले से ही यहां बीजेपी और टीएमसी के बीच सीधी टक्कर देखी जा सकती है। बीते लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद बीजेपी भी पश्चिम बंगाल में ‘अबकी बार 200 पार’ जैसे नारे दे रही है तो वहीं टीएमसी में अभी भी भगदड़ की स्थिति है। एक-एक कर ममता के सेनापति उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं लेकिन इसके पीछे की भूमिका लिखी है मुकुल रॉय ने। मुकुल रॉय ही वह शख्स हैं जो कभी ममता के नंबर दो माने जाते थे लेकिन आज बीजेपी के लिए बंगाल में ब्रह्मास्त्र से कम साबित नहीं हो रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय बंगाल में बीजेपी के चुनावी अभियान की हर कड़ी से जुड़े हुए हैं। संभव है कि राज्य में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की रेस में अपना नाम न आने से वह नाराज भी हों लेकिन अभी तक उन्होंने यह जाहिर नहीं किया है। उलटे वह बीजेपी के लक्ष्य ‘अबकी बार, 200 पार’ के नारे को सच बनाने में जुटे हुए हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल में 291 विधानसभा सीटें हैं। रॉय ने अपना राजनीति करियर यूथ कांग्रेस के साथ शुरू किया था। उस समय ममता बनर्जी भी इसका हिस्सा थीं। जब साल 1998 में ममता बनर्जी ने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी, तो उस समय मुकुल रॉय भी इसके संस्थापकों में शामिल थे। इसके कुछ सालों बाद ही मुकुल रॉय दिल्ली में टीएमसी का चेहरा बनकर उभरे। साल 2006 में उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया और वह राज्यसभा भेजे गए। यूपीए-2 सरकार में वह रेल मंत्री रहे।