नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस शायद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पार्टी में कमजोर नेतृत्व, अंदरूनी कलह और चुनावों में मिलती लगातार हार ने कांग्रेस का कद कम कर दिया है। हाल यह है कि पार्टी के अपने ही 23 नेता बागी होकर लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। इस समूह को जी-23 के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन कांग्रेस के लिए जी-23 से बड़ी चुनौती जी-3 की है। ये तीन नेता हैं ममता बनर्जी, शरद पवार और जगन रेड्डी। दरअसल, ये तीनों नेता कांग्रेस की टूट का ही नतीजा हैं, जो अब अपने-अपने क्षेत्रों में कांग्रेस से भी बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं। साल 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का गठन किया। इसके ग्यारह साल बाद टीएमसी ने सीपीआईएम को हराने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। यह गठबंधन कारगर रहा और 1977 के बाद पहली बार लेफ्ट फ्रंट को राज्य में बहुमत नहीं मिला। टीएमसी-कांग्रेस के गठबंधन ने साल 2011 विधानसभा चुनावों में एक बार फिर लेफ्ट फ्रंट को हराया।