एमपी बने 4 साल पूरे भी नहीं हुए बन गये सीएम

देहरादून। बीजेपी नेतृत्व हमेशा चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाना जाता रहा है। 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बहुमत के बाद जब रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और भगत सिंह कोश्यारी जैसे दिग्गजों के नाम आगे चल रहे थे तो पार्टी ने आरएसएस के खांटी नेता रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम के लिए चुना था। त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के 4 साल पूरे होने में ठीक 9 दिन बाकी थे कि उनका इस्तीफा ले लिया गया। भले ही त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ असंतोष की चर्चाएं नहीं थीं, लेकिन अंदरखाने गुटबाजी और मतभेद की खबरों के बाद लीडरशिप ने यह फैसला लिया। इसके बाद अब तीरथ सिंह रावत को कमान दी गई है।
तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया जाना भी कम चौंकाने वाला नहीं है। दिलचस्प बात है कि 2017 में सतपाल महाराज को उनकी जगह पर टिकट दे दिया गया था और तब उनके निराश होने की भी खबरें थीं। हालांकि पार्टी के मजबूत सिपाही कहे जाने वाले तीरथ सिंह रावत ने इसे चुपचाप स्वीकार कर लिया था और 2019 में पार्टी ने पौड़ी-गढ़वाल लोकसभा सीट से उन्हें टिकट दिया था। उस वक्त दिग्गज नेता और पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूरी का टिकट काटकर उन्हें मौका दिया गया था। इसके बाद अब जबकि रमेश पोखरियाल निशंक और धन सिंह रावत जैसे दिग्गजों के नाम आगे चल रहे थे, तब तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाने का फैसला ले लिया गया।