रोडवेज की बसों में तीसरी आंख के लिए फंड नहीं

upsrtc bus
लखनऊ। परिवहन निगम की बसों में यात्रियों का सफर न सुहाना ही है और न ही सुरक्षित। आए दिन निगम की बसों में यात्रियों से लूटपाट हो रही है तो कहीं महिलाओं के साथ बस में ही रेप की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। वैसे तो खुद को तकनीकी रूप से अन्य विभागों से ज्यादा मजबूत होने का दावा करने वाले विभागीय अधिकारी बसों में लूटपाट व रेप जैसी घटनाओं पर अंकुश न लगा पाए जाने पर निरुत्तर हो जाते हैं। बसों में ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों की शिनाख्त की जा सके इसके लिए बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की योजना पर अधिकारी कोई काम न होने की बात कह रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बसों में कैमरा लगाए जाने में काफी खर्च आएगा ऐसे में इस योजना को साकार रूप दे पाना असंभव है। केंद्र सरकार को बसों में कैमरे लगाने के लिए पत्र भेजकर 39 करोड़ रुपए की मांग की गई है अगर सरकार यह पैसा भेजती है तो बसों को सीसीटीवी से लैस किया जा सकता है।
दिल्ली में चलती बस में एक युवती निर्भया के साथ हुई घटना के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के तहत बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के लिए निर्भया फंड बनाया था। जिसके अंतर्गत महानगरीय परिवहन सेवा के तहत शहर में संचालित तकरीबन 220 बसों में भी निर्भया फंड के तहत सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे। तत्काली डीआईजी नवनीत सिकेरा ने गोमतीनगर में एक बस में सीसीटीवी कैमरा लगाकर इसका आगाज भी किया था लेकिन उसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस बारे में सिटी बस के प्रबंध निदेशक ए रहमान का कहना है कि उन्होंने सरकार से निर्भया फंड के तहत कैमरा लगाए जाने की कई बार पत्र लिखकर फंड की मांग की लेकिन सरकार का कोई रिस्पांस ही नहीं मिला।