नयी दिल्ली। रेलवे के निजीकरण की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे देश की संपत्ति है और उसका कभी निजीकरण नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे के विकास के लिए सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है और निजी क्षेत्र के निवेश से विकास की गति तेज होगी। गोयल ने रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। इससे पहले चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया था कि सरकार रेलवे के निजीकरण की दिशा में आगे बढ़ चुकी है और उसका पूरा जोर सरकारी संपत्तियों को बेचने पर है। कांग्रेस सदस्य नारण भाई जे राठवा ने आरोप लगाया कि सरकार रेलवे का निजीकरण करने पर तुली हुयी है और देश में पहली निजी क्षेत्र तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत भी हो गयी। उन्होंने दावा किया कि 109 मार्गों पर यात्री ट्रेनें चलाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया गया है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि सरकार कहती है कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जाएगा। फिर 109 प्रमुख मार्गों पर 150 नयी ट्रेनें निजी भागीदारी से चलाने का फैसला कैसे किया गया।
रेल मंत्री गोयल ने विपक्ष की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे का कोई निजीकरण नहीं किया जा रहा है और कोई ऐसा कर भी नहीं सकता। उन्होंने कहा कि निजी निवेश से सेवाएं बेहतर हो सकेंगी और नौकरियों के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि देश में सडक़ें बनती हैं और वे सडक़ें देश की तथा सरकार की होती हैं लेकिन क्या उस पर केवल सरकारी गाडिय़ां ही चलती हैं। उन्होंने कहा कि सडक़ों पर सभी तरह के वाहन चलते हैं तभी प्रगति होती है। गोयल ने कहा कि रेलवे में भी ऐसा हो सकता है और रेल पटरियों पर अच्छी ट्रेनों के चलने से लोगों की यात्रा सुखद होगी। उन्होंने कहा कि देश में अभी तीन और माल ढुलाई गलियारों के निर्माण की जरूरत है। इसके लिए भारी निवेश की जरूरत होगी। ऐसे में निजी निवेश से परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। इस क्रम में उन्होंने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का जिक्र करते हुए कहा कि वहां निजी क्षेत्र ने 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है और कंपनी ने यात्रियों को सुविधाएं देने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ रेलवे स्टेशन को बेच नहीं दिया गया है।