डेस्क। यूपी में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में नये सिरे से तय किये गये पदों के आरक्षण और आरक्षित सीटों के आवंटन की पहली सूची शनिवार को प्रकाशित होना शुरू हो गयी। 22 मार्च तक चलने वाले सूची प्रकाशन के इस सिलसिले से राज्य के ग्रामीण इलाकों में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है।
बीती 11 फरवरी को प्रदेश के पंचातीयराज विभाग की ओर से जारी शासनादेश में सीटों का जो आरक्षण तय हुआ था और उस क्रम में बीती तीन मार्च को जो पहली सूची जारी हुई थी उससे हर जिले में गांव की सरकार चलाने के दावेदारों के सारे समीकरण बदल गये थे। मगर उसके बाद 15 मार्च को हाईकोर्ट के आदेश से 1995 को आधार वर्ष मानने के बजाय 2015 को आधार वर्ष मानने के लिए यूपी सरकार ने 17 मार्च की रात एक नया शासनादेश जारी किया। उसी शासनादेश के अनुपालन के क्रम में शनिवार को पहली सूची जारी की गई। इस सूची ने भी हर जिले की पंचायतों के आरक्षण में फिर बदलाव कर दिया। चुनाव लडऩे की तैयारी करने वाले तमाम लोग इस नयी सूची के जारी होने से मायूस हुए हैं और तमाम लोगों के खेमों में खुशी का माहौल है। मगर अब सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंच जाने से एक बार फिर पंचायत लडऩे की तैयारी कर रहे भावी प्रत्याशियों और इस नयी सूची से मायूस हुए लोगों दोनों ही खेमों में नये सिरे से मंथन शुरू हो गया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में होने वाले फैसले से पहले जो अभी व्यवस्था लागू है उसके अनुसार 20 मार्च से 23 मार्च के बीच इस पहली सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल की जा सकेंगी। 24 से 25 मार्च के बीच इन दावे और आपत्तियों का संकलन कर उनका निस्तारण किया जाएगा। इसके साथ ही अंतिम सूची तैयार की जाएगी। 26 मार्च को इस अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।