यूपी में समीकरण साधने में जुटे अखिलेश यादव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से मुकाबले के लिए अखिलेश यादव अब नए सिरे से जातीय समीकरण बिठाने में जुट गए हैं। वह पिछड़ी जातियों में सर्वाधिक ताकतवर यादव समाज के साथ निषादों को सपा के साथ जोडऩे की मुहिम में लगे हैं। इस समीकरण में अन्य पिछड़ी जातियों व अल्पसंख्यकों का साथ मिलने का भी उन्हें भरोसा है। इसी सोशल इंजीनियरिंग के जरिये जातीय समीकरण की कामयाबी की उम्मीद में ही सपा ‘22 में बाइसिकल’ का नारा दे रही है। अखिलेश ने सोमवार को फिरोजाबाद टूंडला जाकर निषाद समाज की कुलदेवी सीयर देवी माता के मंदिर में दर्शन किए और घंटा भी चढ़ाया। इससे पहले वह जनवरी में चित्रकूट में कामदगिरि में भगवान कामतानाथ की पूजा अर्चना करने गए थे। वहां वह पंचकोसी परिक्रमा करना भी नहीं भूले। वहीं प्रशिक्षण शिविर लगाकर कार्यकर्ताओं को पिछड़ों-अतिपिछड़ों को जोडऩे के काम में लगाने का मंत्र भी दिया था। इस तरह सपा निषादों को लुभाने के लिए कई जतन कर रही है। पार्टी ने अपने एमएलसी राजपाल कश्यप को पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी सौंपी है। हाल में निषाद समाज के प्रतिनिधिमंडल ने अखिलेश को बताया कि खनन के नाम पर उनकी प्रयागराज व वाराणसी में नावें तोड़ दी गईं और फर्जी मुकदमे लाद दिए गए। अखिलेश ने उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार बनने पर उनके साथ कोई अन्याय नहीं कर पाएगा। सपा एनजीटी के आदेश से निषाद समुदाय के नाव के जरिए खनन पर रोक के मुद्दे को भी गर्माती रही है। सपा दिवंगत फूलनदेवी को भी कई मौकों पर याद करती है।