कोरोना कहर: राजधानी में दाह संस्कार के भी लाले

लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों और मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। श्मशान घाटों पर भी शवों के दाह संस्कार अचानक से बढ़ गए हैं। लखनऊ में तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि सीतापुर से रविवार को आठ ट्रक अतिरिक्त लकड़ी मंगानी पड़ी। लकड़ी के दाम भी बढ़ा दिए। अब एक शव का तीन हजार के बजाए नौ हजार रुपए लिया जा रहा है। दाह संस्कार सात गुना ज्यादा बढ़ गए हैं।
श्मशान घाटों पर अप्रैल में लगभग पांच गुना ज्यादा शवों के दाह संस्कार हो रहे हैं। बैकुंठधाम भैसा कुंड में कोरोना से पहले रोजाना सामान्य मौत वाले लगभग 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार होता था, 11 अप्रैल को यहां कुल 87 शवों का दाह संस्कार किया गया। इसमें से 37 कोरोना संक्रमित मरीज थे और 50 सामान्य मौत वाले। वहीं, 10 अप्रैल को यहां कुल 85 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें 40 कोरोना संक्रमित थे, जबकि 45 शव सामान्य मौत वाले थे। इसी तरह गुलाला घाट श्मशान घाट पर आम दिनों में कोरोना से पहले रोजाना औसतन 4 से 5 शवों का ही अंतिम संस्कार होता था, लेकिन 10 अप्रैल को 48 और 11 अप्रैल को 55 शव यहां पहुंचे। इनमें कुल 47 कोरोना संक्रमित और बाकी सामान्य थे। नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार को कुल 80 संक्रमितों का दाह संस्कार किया गया। इसमें से 47 का भैसाकुंड और 33 का गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। यह एक दिन में सबसे अधिक है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण से हुई मौतों में लखनऊ में अधिकतम 10 शवों का एक दिन में अंतिम संस्कार किया गया था। जबकि इस बार एक दिन में दोनों शमशान घाटों पर 77 कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया गया। यह पिछले वर्ष की तुलना में 7 गुना से ज्यादा है। वहीं, ईसाई समाज के शहर में दो कब्रिस्तान हैं, जहां पिछले 10-12 दिन में कोरोना संक्रमित तीन बॉडी आई हैं।