नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं के ज्यादा चपेट में आने की बात को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खारिज किया है। आईसीएमआर के चीफ बलराम भार्गव ने इस बारे में में कहा कि युवाओं के ज्यादा चपेट में आने की बात गलत है। आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में 30 से कम उम्र के लोगों में सिर्फ एक फीसदी से ज्यादा संक्रमण है। हालांकि उन्होंने यह साफ किया है कि 2020 में आई कोरोना लहर के मुकाबले इस बार ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा पड़ रही है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन पर भर्ती मरीजों का प्रतिशत बढ़ा है। पिछली बार 40 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 54 फीसदी है। लेकिन एक राहत की बात यह है कि वेंटिलटर की जरूरत कम ही पड़ रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बलराम भार्गव के अलावा नीति आयोग के वीके पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी मौजूद थे। मंत्रालय ने कहा कि दोनों ही लहर में कोरोना की चपेट में आए लोगों में 70 फीसदी से ज्यादा की उम्र 40 साल से अधिक है। बलराम भार्गव ने कहा कि अब भी अधिक उम्र के लोगों के लिए कोरोना ज्यादा बड़ा खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछली लहर के मुकाबले युवाओं के चपेट में आने के मामले थोड़े ही बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल की लहर में 0 से 19 साल तक की आयु के 4.2 फीसदी लोग कोरोना की चपेट में आ रहे थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा 5.8 पर्सेंट का है।
कोरोना से लड़ाई: आक्सीजन की कमी पड़ रही भारी
