गाजियाबाद। जिले में ब्लैक फंगस की बीमारी से एक मरीज की मौत हो गई है। इस बीमारी से जिले में होने वाली यह पहली मौत है। गुरुवार को छह और नए मामले सामने आए, जिसके साथ कुल मरीजों की संख्या 24 पहुंच गई है। जिन मरीजों का अभी इलाज चल रहा है उन्हें इस बीमारी की दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मजबूरी में मरीजों के परिजन अन्य जिलों व प्रदेशों से दवाई मंगवा रहे हैं।
नूरनगर सिहानी में रहने वाले पुष्पेंद्र ने बताया कि उनके पिता राजा राम (57) कोरोना संक्रमित थे। संयुक्त जिला अस्पताल में इनका इलाज चल रहा था। हालत में सुधार नहीं होने पर उन्हें वसुंधरा सेक्टर-1 स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां कोरोना के इलाज के दौरान उनके पिता को काफी स्टेरॉयड दिए गए। ठीक होने के बाद धीरे-धीरे उनकी आंखों की पुतलियां टेढ़ी हो गईं। उन्होंने डॉक्टरों से इस परेशानी के बारे में बताया तो उन्होंने उस बीमारी को नजरअंदाज कर दिया। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर अस्पताल प्रबंधन ने ईएनटी में दिखाने के बोल दिया। इसके उन्हें आरडीसी स्थित हर्ष पॉली क्लीनिक में भर्ती कराया गया। डॉक्टर उनके इलाज में जुटे थे, लेकिन दवाई नहीं मिलने के कारण परेशान थे। इसके बाद परिजनों को खुद दवाई लाने के लिए बोल दिया गया। आरोप है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के चक्कर काटते रहे, लेकिन कहीं इसकी दवाई नहीं मिल सकी। गुरुवार को उनके पिता का निधन हो गया। वहीं, हर्ष पॉली क्लीनिक में ब्लैक फंगस के छह और नए मरीज सामने आए हैं। अस्पताल के प्रबंधक डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि अभी तक उनके पास ब्लैक फंगस के 22 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से पांच मरीज स्वस्थ हो गए हैं और बाकी का इलाज चल रहा है।
गाजियाबाद में ब्लैक फंगस से पहली मौत: 24 मरीज गंभीर
