भोपाल। एमपी में वेतन और भत्तों को लेकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब भी जारी है। यही नहीं इस मसले को और धार देते हुए प्रदेश के 3,000 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए कहा था कि उन्हें 24 घंटों के अंदर काम शुरू कर देना चाहिए। इस फैसले के बाद ही 3,000 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है। यही नहीं उच्च न्यायालय के फैसले को भी चुनौती देने की बात कही है। एक तरफ डॉक्टरों की हड़ताल नहीं टूट रही तो वहीं प्रदेश के मेडिकल शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि वे बात ही नहीं करना चाहते हैं। इससे उनके अहंकार और हठ का पता चलता है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन की सेक्रेटरी अंकिता त्रिपाठी का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया है और सिर्फ आश्वासन ही दिया है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. अरविंद मीणा ने कहा कि अथॉरिटीज ने हमारी मांगों को स्वीकार करने का भरोसा दिया था, लेकिन उस पर कुछ हुआ ही नहीं। इसके बाद हमें काम को बंद करने के लिए ही मजबूर होना पड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने उनके स्टाइपेंड में 24 फीसदी के इजाफे की बात कही थी, लेकिन अब 17 फीसदी ही किया जा रहा है। सरकार जब तक अपना वादा पूरा नहीं करती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
एमपी में 3 हजार डॉक्टरों का इस्तीफा
