गाजियाबाद। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के समीप उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम का स्लोगन अजब गाजियाबाद गजब नगर निगम को यहां के निवासी हास परिहास में जुमले के तौर पर भी प्रयोग करने लगे हैं। सर्वप्रथम तो जब से नगर निगम में नए आका आए हैं तब से शहर की सूरतेहाल बदहाल है। सौंदर्यकरण को मुंह चिढ़ाता अतिक्रमण जाम की समस्या से तो तंगहाल कर ही रहा है। आए दिन होने वाली जानमाल की क्षति से,शारीरिक व आर्थिक अपंगता से भी यहां के बाशिंदों को रूबरू होना पड़ रहा है। सडक़ किनारे व फुटपाथ पर अतिक्रमण से हाल यह है कि वृद्ध, दिव्यांगजन, महिलाएं, बच्चे, बीमार व्यक्तियों को दैनिक आवागमन में भारी असुविधा होती है। नगर निगम कर्मियों के अधिकारियों की शह पर भूमाफियाओं ने सरकारी व सार्वजनिक स्थानों पर सर्वत्र कब्जा कर पक्के निर्माण तक कर लिए हैं। उस पर तुर्रा यह कि अनेकों बार आयुक्त से लेकर मझोले अफसरों व कर्मियों को व्हाट्सएप व ट्विटर तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित कर आगाह किया जाता है लेकिन अभी तक कानों पर जूं रेंगने तक की खबर नहीं प्राप्त हुई है। निरीह व बेबस जनता की कुछ दबी जुबान व कुछ प्रखर कथन की माने तो नगर निगम की भू माफियाओं से दूरभी संधि हो गई प्रतीत होती है। नहीं तो कभी पुलिस बल उपलब्ध न होने का बहाना, कभी किसान आंदोलन की आड़ तो कभी भविष्य में लगने वाले अनिश्चित अतिक्रमण अभियान में उक्त मामला शामिल किए जाने का आश्वासन साफ-साफ शंका व संदेह के घेरे में नगर निगम को खड़ा करता है। नगर निगम आका को समाचार माध्यमों में छपास में रूचि है। जरा सी हिचकी की घटना को भी मझोले अखबारों में प्रमुखता से छपवाने का प्रयास कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। निगम से लगभग नित्य जारी प्रेस विज्ञप्ति में पार्षदों के लिए मीठी भाषा से यह लगता है कि विरोध की संभावना को समाप्त करने के मैनेजमेंट में नगर निगम के नए आका को महारत हासिल है लेकिन कुछ पार्षद फिर भी जनहित में आवाज उठा रहे हैं जिनको बहुमत की आड़ में शांत किया जा रहा है। नहीं तो क्या कारण है कि अनगिनत बार घंटाघर रामलीला ग्राउंड के श्री हनुमान द्वार, श्री जानकी द्वार, घंटाघर के दोनों गेटों में, घंटाघर से नवयुग मार्केट तक, डासना गेट के पास पक्का तालाब, रमते राम रोड पर जीटी रोड से नया गाजियाबाद रेलवे स्टेशन तक, रोडवेज बस स्टैंड के तीनों तरफ, पटेल मार्ग पर, मेट्रो स्टेशन के बाहर दोनों तरफ जीटी रोड से राकेश मार्ग पर, तहसील कार्यालय के चारों तरफ आदि असंख्य स्थानों का अतिक्रमण नगर निगम आकाओं को नहीं दिखता। कुछ तो बात है फिर ऐसी क्या मजबूरी है। यह तो भाजपा सरकार में यह हाल है जिसकी दुहाई राष्ट्रीय नेता देते नहीं थकते थे। खैर अभी तो गाजियाबाद नगर निगम रामराज में राम भरोसे ही चल रहा है।
अजब गाजियाबाद गजब नगर निगम: स्लोगन को सार्थक करती अजब- गजब कार्य शैली
