एडल्ट्री के सबूत के बिना डीएनए टेस्ट नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा किअगर एडल्ट्री (व्याभिचार) का कोई प्राथमिक सबूत नहीं है तो शादी के दौरान पैदा हुए बच्चे की वैधता स्थापित करने के लिए डीएनए टेस्ट का आदेश नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने निचली अदालत और बोम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक विवाद में अपने बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की याचिका की अनुमति दी थी, क्योंकि उसने आरोप लगाया था कि वह उस बच्चे का बायोलॉजिकल पिता नहीं है और उसकी पत्नी के अन्य पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध थे।