बहनों की बेबसी : किसी को बस नहीं मिली तो किसी को सीट

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। शासन के लाख वादों के बावजूद रक्षाबंधन के त्यौहार से 1 दिन पहले बसों की संचालन व्यवस्था बिल्कुल चरमराई हुई दिखी। अपने भाई को राखी बांधने दिल्ली बहनों को बस तथा बस मिलने पर सीट उपलब्ध ना पाने के कारण बेबसी और मायूसी का सामना करना पड़ा। और तो बस पकडऩा भी किसी युद्ध को जीतने से कम नहीं था। बस अड्डे पर बस पकडऩे के लिए धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी का माहौल था। तेज रफ्तार बारिश के कारण बसों का आवागमन बुरी तरह प्रभावित रहा और कई कई घंटे इंतजार करने के बाद अगर बस मतलबी हो गई तो उस पर चढऩे के लिए भीड़ आपे से बाहर हो गई। ज्यादातर यात्रियों को लंबी दूरी का सफर भी खड़े-खड़े ही तय करना पड़ा। कमोबेश यही हाल साहिबाबाद तथा गाजियाबाद बस अड्डे पर पूरे दिन बना रहा । आम दिनों से बहुत ज्यादा सवारियों की भीड़ होने की कारण गाजियाबाद गाजियाबाद दोनों बस अड्डे सवारियों से पटे रहे । लकी शासन की तरफ से 200 अतिरिक्त बसों का इंतजाम रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए विशेष रूप से करवाया गया था। रोडवेज अथॉरिटी के मुताबिक कुल मिलाकर 735 बसें जनता की सेवा के लिए ऑन रोड थी । परंतु इतनी सारी बसों का संचालन होने के बावजूद भीड़ के अत्यधिक दबाव की वजह से लोगों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही थी । फैजाबाद तथा गाजियाबाद दोनों ही बस अड्डे पर इक_ी हुई भारी भीड़ की वजह से कई बार धक्का-मुक्की तथा हाथापाई जैसा नजारा देखने को मिला । बसों के अंदर की सीटों में अपनी जगह बनाने के लिए यात्रियों ने बच्चों को खिडक़ी के रास्ते अंदर किया ।