पीएम आवास योजना में जीडीए का खेल: बिना जाति प्रमाण पत्र के मकान आवंटित

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत एक बड़ा खेल खेला गया था जिसके तहत जीडीए के 23 अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर शिकंजा कसा जाना अब लगभग निश्चित हो चुका है । वैसे तो खेल की शुरुआत योजना प्रारंभ होने के समय से ही हो गई थी परंतु हद तो तब हो गई जब फ्री 38 95 में से 653 ऐसे आवेदको को योग्य आवेदक मान लिया गया जिन्होंने अपने दस्तावेज तथा आवश्यक प्रमाण पत्र तक प्राधिकरण में जमा नहीं करवाए। इन सभी आवेदकों को किस आधार पर पात्रता मापदंडों के अनुसार योग्य मान लिया गया यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है । पात्रता के आधार पर आवेदकों को जिस आरक्षण श्रेणी में शामिल किया गया उनमें से एक ने भी आरक्षण संबंधी अपना प्रमाण पत्र जीडीए में जमा नहीं करवाया । कई बार इस मुद्दे पर जांच करवाने की मांग की गई पर प्राधिकरण की तरफ से इसमें कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई गई और मामला ठंडे बस्ते में ही रह गया । इसके बाद पार्षद तथा जीडीए बोर्ड सदस्य हिमांशु मित्तल द्वारा इस प्रकरण को जीडीए उपाध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश शासन के समक्ष उठाते हुए इस मामले की जांच की मांग की गई । इसी बीच जीडीए द्वारा 7 फरवरी को योजना का लकी ड्रा कर दिया गया । जीडीए द्वारा किए गए प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत किए गए भवनों के आवंटन में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति कोटे से लगाए गए 160 फॉर्म ऐसे पाए गए जिनके साथ आवेदकों के जाति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किए गए थे । इसी प्रकार सीनियर सिटीजन वन सीनियर सिटीजन 2 तथा सीनियर सिटीजन ओबीसी एससी आदि कैटेगरी में भी जिन्हें पात्र ठहराया गया है उन आवेदकों द्वारा जाति प्रमाण पत्र तथा अन्य अनिवार्य दस्तावेज संलग्न नहीं किए गए हैं। इसी प्रकार दिव्यांग आवेदकों के फॉर्म के साथ आवश्यक संलग्नक नदारद पाए गए । इस विषय पर लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर सूचित किया गया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवंटित होने वाले इन भवनों पर शुरू से ही सवालिया निशान बने हुए थे । अब सीबीआई द्वारा इस योजना के तहत आवंटित भवनों के आवंटीओं की लिस्ट मांगी गई है तथा अन्य आवश्यक दस्तावेज भी जल्द से जल्द मुहैया करवाने को कहा गया है।