रणथम्भौर में होती हैं बाघों की अठखेलियां

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फीचर डेस्क। जंगल में घूमते बाघों देखने की चाहत सबको होती है। क्योंकि बाघ को खुले में देखने के अनुभव बहुत अद्भूत और रोमांच भरा होता हैं और लम्बे समय तक यादगार भी। बाघ को जंगल का राजा क्यों कहते हैं, इसके असल मायने बेखौफ खुले जंगल में और झुंड में देखने से ही पता लगता हैं। यह दिल में रोंमाच की लहर दौड़ा देने वाला नजारा होता है। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख बाघ क्षेत्रों में एक हैं। यहां टाइगर रिर्जव की सफारी आपके इस चाहत को पूरा कर सकती है। मौसम के लिहाज बड़ी संख्या में पर्यटक सर्दियों में यहां जाते हैं, लेकिन बाघ देखने में ज्यादा आसानी गर्मियों में रहती है। गर्मियों में बाघ जलाशयों एवं खुले में टहलते हुए ज्यादा नजर आएंगे। इसलिए मौसम कोई-सा भी हो यहां जाया जा सकता है।
रणथंभौर में सफारी का समय सवेरे 7.30 बजे से 10.30 बजे तक और दोपहर में 2.30 बजे से 5.30 बजे तक है। बस यह ध्यान रखें। मानसून सीजन में टाइगर रिजर्व 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक बंद रहता है।
यह स्थान राजस्थान के सवाईमाधोपुर शहर से सटा है। लेकिन पार्क का मुख्य प्रवेश द्वार शहर से लगभग 11 किलोमीटर दूर है। सवाईमाधोपुर दिल्ली-मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर दिल्ली से ट्रेन से महज चार-पांच घंटे के सफर पर स्थित है। लगभग इतना ही समय जयपुर से सवाईमाधोपुर पहुंचने में भी लगता है। दिल्ली से मथुरा-भरतपुर होते हुए सीधे सड़क मार्ग से भी वहां पहुंचा जा सकता है।
देश के सबसे खूबसूरत टाइगर रिजर्व कहे जाने वाले रणथंभौर की ख्याति अपने बाघों के लिए दुनियाभर में है। बड़ी संख्या में देश विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं। लिहाजा देश के ज्यादातर बड़े समूहों के आलीशान रिजॉर्ट व होटल शहर से टाइगर रिजर्व के रास्ते में दोनों तरफ पसरे पड़े हैं। लेकिन उससे कहीं ज्यादा संख्या में छोटे व मझोले किस्म के होटल हैं। हर वर्ग व पसंद के सैलानियों के लिए पूरी गुंजाइश क्योंकि रणथंभौर टाइगर रिजर्व सवाईमाधोपुर कपड़े उत्तर भारत के मौसम के अनुरूप। लेकिन जंगल जाएं तो हल्के रंग पहने जिनमें प्राकृतिक छटा झलकती हो। याद रखें, जानवरों को भड़कीले रंग पसंद नहीं आते।