हर सरकार में फेल हुए महिला सुरक्षा के दावे

women
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। सदन से लेकर सार्वजनिक मंचों तक महिला को लेकर किए जा रहे दावों को न सिर्फ अपराधाी झूठला रहे है बल्कि इस काम में पुलिस भी इसमें पीछे नहीं है। राजधानी में साल भर पहले की मोहनलालगंज की घटना हो या फिर इसी साल फरवरी का गौरी श्रीवास्तव हत्याकांड के बाद कल सीतापुर की महमूदाबाद में एक युवती की लाश का मिलना सरकार के दावों को झुठलाने के काफी है। यह तो वो घटनाएं है आम आवाम में जहां दहशत का सबब बनी वहीं सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का हथियार भी बनी। प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में बनी समाजवादी पार्टी की सरकार ने आते ही महिला सुरक्षा को लेकर 1090 के अलावा कई योजनाएं शुरू की लेकिन इसके बाद घटनाओं का ग्राफ थमने का नाम नहीं ले रहा। अखिलेश सरकार में किसी महिला के साथ यह तीसरी घटना है। हालांकि इसके अलावा इस तरह की और भी घटनाएं होती रहती है लेकिन वे सुर्खियों मेंं न होने के कारण चर्चा में नही आ पाती। वर्ष 2014 में 16 लखनऊ के मोहनलालगंज थानान्र्तगत बलसिंहखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय में एक 25 वर्षीया युवती की नग्न लाश बरामद हुई। इस घटना की गूूंज दिल्ली तक सुनाई दी। जो पुलिसिया जांच हुई वो लोगों के गले नहीं उतरी और आरोपी के नाम पर एक अपार्टमेंट के चौकीदार को जेल भेज दिया गया। इसी साल राजधानी लखनऊ में 2 फरवरी 2015 को गौरी श्रीवास्तव हत्याकांड ने सरकार की कानून व्यवस्था के दावों की हवा निकाल दी। उसकी हत्या करके उसके शव को टुकड़ों में करके शहीदपथ के पास भेज दिया गया। सोमवार (10 अगस्त 2015) को जब मु ख्यमंत्री अखिलेश यादव राजधानी के फाइव स्टार होटल में लोगों को महिला सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दे रहे थे उसी समय लखनऊ से सटे जिले सीतापुर की कोतवाली में जीनत नाम युवती की हत्या करके उसका शव शौचालय में फांसी लटका दिया गया। कोहराम मचा तो कई पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। हालांकि इस मुद्दे पर विपक्ष शांत होने वाला नहीं है। शुक्रवार को रहे मानसूत्र सत्र में इसकों लेकर विपक्ष ने सरकार को चौतरफा घेरने की रणनीति बनाई है। इसी तरह की घटना मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में 10 जून 2011 को लखीमपुर के निघासन थाने में सोनम नाम की लड़की से बलात्कार के बाद उसकी हत्याकर शव को थाने में लटका दिया गया था। मृतक सोनम का दो बार पोस्टमार्टम हुआ था और इस संबंध में कई पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया था। हालांकि प्रदेश में इस तरह पहले भी हुई जो आज तक लोगों के जेहन में है। 1980 में जनता पार्टी की बनारसी दास की सरकार में लखनऊ के सुजानपुरा आलमबाग निवासी एमए की छात्रा शुभ्रा लाहिड़ी अचानक गायब हो गई थी करीब बीस दिन बाद उसकी अर्धनग्न लाश मालएवेन्यू के पीछे नाले में मिली थी। इस मामलें सीबीआई जांच में उसके साथ बलात्कार की पुष्टिï हुई थी। बनारसीदास गुप्त की ही सरकार मं देवरिया के हाटा थानाक्षेत्र के नारायणपुर गांव एक बुजुर्ग महिला की हत्या के विरोध में धरना दे रहे ग्रामीणों को बुरी तरह पीटने और महिलाओं से दुराचार व उत्पीडऩ करने का आरोप पुलिस पर लगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी घटना स्थल पर पहुंची थी और बाद में बनारसीदास की सरकार बर्खास्त हो गई थी। इसी तरह विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में 16 जून 1980 को बागपत में मायात्यागी नाम की महिला को पुलिस के एक सबइंस्पेक्टर ने बलात्कार करने की नियत से उसे सड़क पर निर्वस्त्र कर दिया और विरोध करने पर उसके पति और मित्रों को न सिर्फ पीटा बल्कि उन्हे डकैत घोषित कर दिया। इस घटना की जांच पीएन राय कमीशन को सौंपी गई थी। श्रीपति मिश्र के मुख्यमंत्रित्वकाल में बस्ती के सिसवां में सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया था। इस घटना की विधानसभा से लेकर लोकसभा तक गंूज सुनाई दी। बाद में पूरा थाना संस्पेंड कर दिया गया था। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमत्रित्वकाल में 1990 में फतेहपुर साती गांव में कुच्ची देवी नाम की दलित महिला से गांव के ठाकुरों द्वारा दुराचार का प्रयास किया गया। जान बचाने के लिए वह तालाब में कूद गई इसके बाद उसकी मौत हो गई।