जिंदगी नहीं, डिप्रेशन को कहिये बाय-बाय

गौरव खरे। डिप्रेशन आज भारत के लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। आज हम सब अपने परिवारों से दूर होते जा रहे हैं और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं वैसे तो चिंता करना जरूरी है लेकिन जब यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाए और डिप्रेशन जैसी बीमारी रूप लेकर इंसान को मानसिक रोगी बना दे तब यह एक गंभीर मुद्दा बन जाता है और रोगी के साथ परिवार के लिए भी एक चिंता का मुद्दा बन जाता है।डिप्रेशन में रोगी अपनी परेशानी किसी को नहीं बताता है और वह अंदर-अंदर घुटता रहता है।यहां तक रोगी अपनी परेशानी डॉक्टर से भी छुपता है।वैसे तो हमारे सोशल मीडिया पर हजारों दोस्त हैं लेकिन आम जिंदगी में हमारा एक कोई भी ऐसा दोस्त नहीं है जिससे हम अपनी परेशानी कह सकें। अगर रोगी डिप्रेशन छोड़ कर भी दोस्तों के साथ या लोगों के साथ बैठकर किसी और मुद्दे पर भी बात करें तो वह ठीक हो सकता है। महाभारत में आज से हजारों साल पहले डिप्रेशन से बाहर आने के लिए कई हल दिए गए हैं। अर्जुन विषाद में ही इसके कई हल दिए गए हैं।विषाद का अर्थ होता है दुख,डिप्रेशन और उदासी यानी कि जो स्थिति आज के लोगों की है वह एक समय अर्जुन के जीवन में भी आई थी और आज न जाने कितने ऐसे अर्जुन इस दुनिया में घूम रहे हैं। अर्जुन का पहला सवाल था कृष्ण जी से की “मैं हताशा से भर चुका हूं,शरीर साथ नहीं दे रहा है,मेरा मुंह अक्सर सूक जाता है,शरीर कांपने लगता है,मेरे हाथ से धनुष छूट जाता है,मेरे तलवे जल रहे हैं,मैं ठीक से खड़े नहीं हो पा रहा हूं और मेरा सिर घूम रहा है यानी कि जो लक्षण उस समय दिखते थे वह आज भी देख रहे हैं और तब इस समस्या पर कृष्ण जी ने 3 हल बताएं थे जोकि निम्नलिखित हैं-
1.हालात कैसे भी हो भावनाओं में मनुष्य को नहीं बहना चाहिए यानी कि उसको अपने अंदर के व्यक्ति की पहचान करना चाहिए और खुद पर विश्वास रखना चाहिए।
2.ऊर्जा का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए चिंता जैसी बेकार चीजों पर अपनी ऊर्जा नहीं गंवाना चाहिए।
3.जब परिस्थिति आपके बस में ना हो तब ईश्वर पर भरोसा करो और मन को शांत रखना चाहिए क्योंकि आत्मविश्वास के दम पर ही आप इससे बाहर निकल सकते हैं। हम यह नहीं कहते कि इस समय की स्थिति चिंताजनक नहीं है।आज लोगों की नौकरीयां गई हैं,लोग घरों में कैद हैं,बच्चे भी स्कूल और दोस्तों से दूर हो चुके हैं,समाज से दूर हो चुके हैं लेकिन इस दौरान डिप्रेशन से बचना जरूरी है क्योंकि यह चिंता आपको आपके स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा असर डाल सकती है।आप अक्सर अपने शरीर पर यहां तक कि अपनी गाड़ी पर ध्यान देते होंगे लेकिन अब आपका अपने दिमाग पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।आप वो काम करें जिससे आपको आनंद मिलता है या खुशी मिलती हैं।यह मुश्किल जरूर हैं कि हर समय हम खुश रहें लेकिन खुशी वह अच्छी और महंगी चीज है जो मुफ्त में मिलती हैं।