सरकारी अमला घोटालों में व्यस्त: पीएम आवास योजना के पात्रों की हिम्मत पस्त

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद । प्रधानमंत्री आवास योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत समाज के प्रत्येक समुदाय के निर्धन लोगों को आवास उपलब्ध जाने के उद्देश्य से लाई गई है । परंतु सरकारी तंत्र में बैठे हुए भ्रष्ट अधिकारी तथा बाबू वर्ग न सिर्फ इस योजना को वरन ऐसी न जाने कितनी योजनाओं को पलीता लगाने के लिए बैठे हुए हैं। बात गाजियाबाद की करें तो यहां जीडीए नगर निगम तथा तहसीलदार समेत प्रत्येक कार्यालय में बैठे हुए कर्मचारी जो कि जनता के पैसे से ही पलते हैं जनता का ही दोहन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते । गाजियाबाद विकास प्राधिकरण नगर निगम तथा तहसीलदार कार्यालय समान रूप से इस योजना को पलीता लगाने में हकदार है । प्रधानमंत्री आवास योजना में जीडीए, नगर निगम तथा तहसीलदार कार्यालय की भ्रष्टाचार में संलिप्तता की गूंज जब मीडिया के जरिए लखनऊ तथा दिल्ली तक पहुंची तो सरकारी तंत्र में खलबली मच गई। जब स्थानीय जांच कमेटी से काम न चला तो यह मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया । प्रधानमंत्री आवास योजना में केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि वरिष्ठ नागरिक तथा पत्रकार भी पात्र होते हुए भी अपात्र घोषित कर दिए गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि कमेटी द्वारा की गई लॉटरी में जिन आवेदन कर्ताओं को योग्य घोषित किया गया है उनमें से अधिकांश के पास जरूरी कागजात था दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं है । और जिन्होंने अपने तमाम कागजात सरकारी निर्देश अनुसार जमा करवाए थे परंतु उन्हें कमेटी द्वारा इस योजना के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं गाजियाबाद के वरिष्ठ नागरिक एवं पत्रकार राम शरण श्रीवास्तव जो अपनी व्यथा उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहते हैं। उन्होंने बारंबार नगर निगम जीडीए तथा तहसीलदार कार्यालय के चक्कर चक्कर काटने के बाद घर पर अब मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के नाम इस संदर्भ में अपने तमाम दस्तावेज संलग्न करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है जिसकी प्रतिलिपि उन्होंने सभी संबंधित निकायों के अधिकारियों को भेज दी है। परंतु क्या भ्रष्टाचार तथा रिश्वतखोरी के इस दौर में उन्हें तथा उन जैसे अन्य योग्य आवेदन कर्ताओं को समुचित न्याय मिल पाएगा ? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है ।