गुरप्रीत सिंह लवणी को किया गया सम्मानित

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे……” पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब इन वाक्यों को समय-समय पर सिख धर्म के मानने वाले लोगों ने चरितार्थ कर दिखाया है । स्वामी विवेकानंद ने कहा था के मानव मात्र की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। गाजियाबाद में जब समूचा जनपद कोरोना की दूसरी लहर से कराह रहा था, जब एक परिवार के लोगों ने आपस में दूरी बना ली थी तब गरीब असहाय कोरोना से पीडि़त समाज के सभी वर्गों के व्यक्तियों के लिए अपना तन मन धन सब कुछ निछावर करते हुए अथक सेवा करने के लिए कुछ फरिश्ता बनकर सामने आए । पूरे शहर में सन्नाटा पसरा था और लोग अपने घरों में कैद थे । परंतु यह फरिश्ते कोरोना से पीडि़त लोगों को बिना किसी भेदभाव के रात दिन पैसा भोजन दवाइयां तथा ऑक्सीजन आदि निशुल्क मुहैया कराने के पवित्र कार्य में लगे हुए थे । साहिबाबाद के इंदिरापुरम में स्थित गुरुद्वारे के बाहर टेंट लगाकर हजारों लोगों की सेवा में समर्पित भाव से अपने सहयोगियों के साथ लगे रहने वाले व्यक्तित्व का नाम है गुरप्रीत सिंह लवणी जिन्होंने कोरोना महामारी के दरमियान अपनी सेवाएं प्रदान कर एक मिसाल कायम की। इनके इस महान सेवा कार्य के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) द्वारा सम्मानित किया गया । श्री लवणी को गाजियाबाद के नागरिकों के द्वारा उनके सेवा कार्य तथा उनकी इस उपलब्धि के लिए सिख समुदाय द्वारा भी सम्मानित किया गया ।