आजाद हिन्द सरकार का स्थापना दिवस समारोह मनाया

श्यामल मुखर्जी, गाजियाबाद। सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी (सुभास पार्टी)द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा स्थापित आजाद हिन्द सरकार का स्थापना दिवस समारोह सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी के कार्यालय सुभाषिनी ऑफसेट, जगदीश नगर, गाजियाबाद पर मनाया गया। समारोह का शुभारम्भ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र पर माल्यर्पण कर किया गया। समारोह का शुभारम्भ करते हुए सुभाष युवा मोर्चा संयोजक सतेन्द्र यादव ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक के एक सम्पन्न परिवार में हुआ। सुभाष जी के पिताजी का नाम जानकी नाथ बोस व माता का नाम प्रभावती था। नेताजी ने आईसीएस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद भी देश की स्वतंत्रता का रास्ता चुना। आजाद हिन्द सरकार की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में की गई थी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द सरकार की सभी कार्यों योजनाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया, कि किस प्रकार यह सरकार सम्पूर्ण भारतीयों के सर्वांगीण विकास को प्राप्त करेगी। उन्होने कहा हम सुभाष चन्द्र बोस जी के विचार और संघर्ष को आम जनता तक ले जाने के लिए पिछले तीस वर्षों से भी अधिक समय से कार्य कर रहे हैं। सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी (सुभास पार्टी) के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि उस समय गठित की गई आजाद हिन्द सरकार की योजनाओं द्वारा ही भारत को एक सूत्र में बांधकर भारत को उच्च शिखर पहुँचाया जा सकता है। सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे व महात्मा गांधी जी और सुभाष बाबू के विचार भिन्न-भिन्न थे परन्तु मकसद एक था, देश की आजादी। सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता नेताजी ने ही सम्बोधित किया था। साहिबाबाद विधानसभा प्रभारी सुजीत तिवारी ने कहा सुभाष चन्द्र बोस ने कहा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ के जज्बे के साथ लाखों लोग नेताजी की फौज में शामिल हुए। नेताजी ने फौज की ब्रिगेड को महात्मा गांधी जी ब्रिगेड, जवाहर लाल नेहरू ब्रिगेड, अबुल कलाम आजाद ब्रिगेड और सुभाष चन्द्र बोस ब्रिगेड, रानी लक्ष्मी बाई ब्रिगेड नाम दिया। जिसमें रासबिहारी बोस, शाहनवाज खाँ, कैप्टन लक्ष्मी सहगल जैसे हीरो थे। नेताजी जी ने आज ही के दिन 21नवम्बर 1943 आजाद हिन्द सरकार स्थापना की। इस सरकार को 9 देशों ने मान्यता दी। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को मंचूरिया जाते वक्त जहाज दुर्घटना में नेताजी की निधन हो गया। लेकिन शव न मिलने के कारण यह आज भी विवाद बना हुआ है। इस अवसर पर रामकुमार शर्मा,मनोज होदिया, यादव युवक युवती परिचय सम्मेलन के अध्यक्ष रामअवतार यादव, मजदूर नेता विरेन्द्र सिरोही,प्रदीप पाठक आदि ने भी सम्बोधित किया। समारोह को मुख्य गोपाल सिंह, सुरेश यादव, वागीश शर्मा, राजीव गौतम, सुनील दत्त, दीपक वर्मा,दीपक शर्मा, हरीश शम्मी, डा. अजय चैधरी, नरेन्द्र नागर, बलबीर सिंह, विनीत गौंड, शिव कुमार, जयपाल सिंह, जयवीर पांचाल, दीपक कुमार, रिंकू दीक्षित, उमेद सिंह यादव, विकास भड़ाना, अशोक दुआ, वीरेन्द्र कंडेरा, सन्नी, संजय श्रीवास्तव ,सुभाष ठाकुर, सियाराम यादव ,रमेश श्रीवास्तव, विनोद कुमार अकेला , पी के सिंह, विशाल सक्सेना, रिसेत, सोनू गहलोत, राजेंद्र गौतम ,अनुपम श्रीवास्तव, विजय अभिलाषी आदि सैंकड़ों मुख्य रूप से उपस्थित थे।