कंगना रनौत का बयान अज्ञानता पूर्ण व हास्यास्पद: रामदुलार यादव

श्यामल मुखर्जी, साहिबाबाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, शिक्षाविद रामदुलार यादव ने कंगना रनौत के नवभारत टाइम्स में छपे बयान को हास्यास्पद, अज्ञानता से भरा बताया है, उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई को सुभाष चंद्र बोस और सावरकर के बलिदान का परिणाम बताया है जबकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सावरकर का जन्म 23 जनवरी 1887, 28 मई 1883 को हुआ था, ऐसे अशिक्षित, अज्ञानता भरी बात बोलने वालों को पद्मश्री से सम्मानित करना पद्मश्री की गरिमा को ठेस पहुंचाता है7 ऐसे लोगों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास पढऩा चाहिए, मुझे नवभारत टाइम्स के संपादक महोदय से भी निवेदन करना है कि इतिहास के विषय में बयान देने वालों की सत्यता की जांच कर ही खबर देनी चाहिए। भारत की आजादी को भीख बताना भी अज्ञानता है। उन्होंने कहा कि मैं कंगना रनौत जी को बताना चाहता हूं कि भारत की आजादी का संघर्ष कोई एक दिन का परिणाम नहीं है, हजारों लोग शहीद हुए, लाखों लोगों ने जेल में यातनाएं झेली। उनके बाल बच्चों ने जितना कष्ट झेला स्वतंत्र भारत में हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, अपना घर-बार छोडक़र, रोजी-रोटी को लात मारकर, अपनी आजीविका खो कर संघर्ष करते रहे। उनके परिवारों के सामने 2 जून की रोटी का संकट रहा, उन्हें भोजन भी नसीब नहीं होता रहा, न उनके बच्चों की उचित शिक्षा हो पाई, न उनकी सही देखभाल हो पाई, क्या चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, शहीदे आजम भगत सिंह जैसे हजारों बलिदानियों के संघर्ष को भुलाया जा सकता है, जहां स्वामी दयानंद, मंगल पांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बहादुर शाह जफर और हजारों विद्रोही सिपाहियों के संघर्ष और बलिदान ने स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह द्वारा देश की जनता में निर्भीकता का वातावरण पैदा हुआ, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, अशोक मेहता, आचार्य नरेंद्र देव, लोक नायक जयप्रकाश नारायण, डॉ राम मनोहर लोहिया, अरूणा आसिफ अली ने स्वतंत्रता संघर्ष में अहम भूमिका निभाई उसी संघर्ष का परिणाम है, 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, 30 जनवरी सन 1948 में महात्मा गांधी के बलिदान को यह देश भूल सकता है? जिसने हे राम कहते हुए अंतिम यात्रा पूरी की, कंगना रनौत इतिहास पढ़ो, किस विचारधारा ने संत के शरीर को छलनी किया लेकिन आजादी के 75 साल होने को है गांधी आज भी जिंदा है, धर्मनिरपेक्षता, सद्भाव, भाईचारा, सत्य और अहिंसा के रूप में। आपने कहा है कि पद्मश्री हम लौटा देंगे, इससे देश को, समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन सार्वजनिक बयान जिसकी जानकारी आपको नहीं है हमारे जैसे लोगों को आहत अवश्य करता है।