किसान संगठनों में पैठ बनायेगी आरएसएस

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के मौके पर बड़ा ऐलान करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। बीते कई महीनों से जारी किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था। इसके बाद देशभर से इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया था साथ ही राजनीतिक एक्सपट्र्स द्वारा इसके बारे में कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हैं। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद आरएसएस के सिख निकाय राष्ट्रीय सिख संगत सिखों के साथ पुल बनाने में कामयाब होगा। दरअसल, कृषि कानूनों के विरोध में लंबे समय से हो रहे किसान आंदोलन से संघ परिवार चिंतित था क्योंकि उन्हें लगा कि आंदोलन के परिणामस्वरूप सिखों और हिंदुओं के बीच मतभेद हो सकते हैं। आरएसएस महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने अपने एक बयान में कहा भी था कि संघ परिवार लंबे आंदोलन से चिंतित है। लेकिन अब जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है तो यह एक तरह से संघ के लिए मौका है कि वह अब सिखों के बीच अपनी पैठ बढ़ा सकता है। इसके लिए संघ के सिख निकाय राष्ट्रीय सिख संगत ने अपना प्लान भी तैयार किया है। एक तथ्य यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों में आरएसएस ने अपनी राष्ट्रीय सिख संगत की गतिविधियों को तेज करने की भी योजना बनाई है। राष्ट्रीय सिख संगत हिंदू-सिख एकता में सुधार के लिए काम करने वाली संस्था है। इकॉनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष जी एस गिल के हवाले से बताया है कि उन्होंने माना कि दुर्भाग्य से दोनों पक्षों से गलतियां हुई हैं। इन कानूनों और विरोधों के कारण हिंदुओं और सिखों के बीच दूरियां बढ़ीं। लेकिन यह अच्छी बात है कि अनावश्यक टकराव अब टल गया है।